अब उत्तराखंडी भाषा को ध्वनि आखर में पढ़ सकेंगे

अल्मोड़ा उत्तराखंड लाइव ऊधम सिंह नगर गढ़वाल देहरादून नैनीताल राष्ट्रीय हरिद्वार

दिल्ली/देहरादून। अनीता रावत

भारतीय नवसंवत्सर बिक्रम संवत 2076 के आगमन पर उत्तरांचल बौद्धिक परिषद के पंचकुइया मार्ग गढवाल भवन में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी के शोध आधारित उत्तराखंड की बोली के ध्वनि आखर पुस्तक का विमोचन किया गया। समारोह में मंगत राम धस्माना की पुस्तक उत्तराखंड के सिद्ध पीठ का विमोचन किया गया।
इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. महिमानंद द्विवेदी, संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. जीत राम भट्ट, डॉ. मधुकर द्विवेदी, डॉ. पवन कुमार मैठाणी, डॉ. हेमा उनियाल, डॉ. सत्येंद्र प्रयास, डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी, पूरण चन्द कांडपाल, कुसुम नौटियाल, आचार्य श्रीधर प्रसाद बलूणी, सीएम पपनै, चन्द्रबल्लभ बुडाकोटी, आचार्य मोहन जोशी, बृजमोहन उप्रेती, अरविंद जखमोला मौजूद रहे।वक्ताओं ने इस विषय पर अपने अपने विचार रखे।


कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें कवि ललित केशवान, दिनेश ध्यानी, जयपाल सिंह रावत, डॉ. सतीश कालेश्वर, डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी, पूरणचन्द कांडपाल, पृथ्वी सिंह केदारखण्डी, रमेश हितैषी, गिरीश भाउक, गिरिधर रावत, गिरीश बिष्ट हंसमुख, बृजमोहन शर्मा, प्रदीप रावत खुदेड़़, कैलाश धस्माना, विजय लक्ष्मी, ममता रावत, मीरा गैरोला ने कविता पाठ किया।
उत्तराखंड की बोली के ध्वनि आखर पुस्तक के लेखक डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी ने पुस्तक के संबंध में बताया कि यह पुस्तक उत्तराखंड की भाषा की उन ध्वनियों की पहचान कराती है, जिनका स्थान देवनागरी लिपि में नहीं है। बताया गया कि जिस प्रकार मराठी और नेपाल भाषा देवनागरी के माध्यम से लिखने के लिए लिपि के साथ उनकी भाषा की स्थानीय ध्वनियों को अक्षर के रूप में जोड़ा है। उसी प्रकार उत्तराखंड की भाषा गढवाली, कुमाउंनी की ध्वनियों को अक्षर निरूपित कर देवनागरी लिपि के साथ जोड़ा गया है। यह कुल पांच अक्षर हैं जिन्हें गऊं आखर नाम दिया है। उत्तराखंड की बोली के इन ध्वनि आखरों को देवनागरी लिपि के साथ जोड़कर एक फोंट तैयार किया गया है, जिसका नाम जलन्धरी टीटीएफ रखा गया है।

इस फोंट के माध्यम से उत्तराखंड की भाषा गढवाली, कुमाउंनी को उसकी ध्वनियों के साथ लिखा जा रहा है। इन ध्वनियों के संबंध में इस पुस्तक में विस्तार से वर्णन किया गया है। साथ ही इनका प्रयोग भी बताया गया है।
कार्यक्रम के पहले सत्र में परिषद के महासचिव डॉ. पवन कुमार मैठाणी और संयोजक श्री रमेश घिल्डियाल ने संयुक्त रूप से संचालन किया और दूसरे सत्र में प्रदीप बेदवाल ने संचालन किया।
उत्तरांचल विद्वत परिषद इस प्रकार के कार्यक्रम लगातार कर भाषा के साहित्यकारों व समाज का उत्साहवर्धन कर रही है। विद्वत परिषद के अध्यक्ष पं. महिमानंन्द द्विवेदी एवं सभी पदाधिकारी इस प्रकार के आयोजनों के लिए बधाई के पात्र हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *