ड्राइवर और चपरासी के नाम पर बुक किए ‘बेनामी’ फ्लैट

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नई दिल्ली। नीलू सिंह
आम्रपाली समूह में हुए फर्जीवाड़े का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के तरफ से नियुक्त किए गए ऑडिटर्स की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी, चपरासी और ड्राइवर्स के नाम पर 23 कंपनियां बनाई गईं और फिर इनमें घर खरीदने वाले खरीदारों के पैसे को डायवर्ट किया गया। ऑडिटर्स ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि आम्रपाली समूह ने करीब 500 लोगों से अधिक के नाम पर 1 रुपये, 5 रुपये और 11 रुपये वर्गफुट की दर से फ्लैट की बुकिंग की। दो फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया है कि उन्होंने उन 655 लोगों को नोटिस जारी किया, जिनके नाम से ”बेनामी” फ्लैट को बुक किया गया है, लेकिन 122 ठिकानों पर ऐसे किसी भी एक व्यक्ति का पता नहीं चल पाया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और यू यू ललित के बेंच को सौंपी गई अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) चंदर वाधवा ने पिछले साल 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में बयान देने से तीन दिन हपहले ”अज्ञात” लोगों को 4.75 करोड़ रुपये भेजे थे। फॉरेंसिक ऑडिटर पवन कुमार अग्रवाल ने बेंच को बताया, ‘मार्च 2018 तक उसके खाते में 12 करोड़ रुपये थे। इसके बाद उसने 1 करोड़ रुपये अपनी पत्नी को भेजे। सुप्रीम कोर्ट में पहली बार पेश होने से ठीक तीन दिन पहले उसने कुछ अज्ञात लोगों को 4.75 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।’ इसके बाद वाधवा कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, ‘आप न्याय की राह में रोड़ा अटका रहे हैं। तुम्हें पता था कि कोर्ट इस पैसे के बारे में पूछेगा और इसलिए तुमने इसे ट्रांसफर कर दिया। हम सात दिनों के भीतर वह पूरा पैसा वापस चाहते हैं। तुम्हें 23 अक्टूबर 2018 को पैसे ट्रांसफर करने की कोई जरूरत नहीं थी। आपने न्याय की राह में रोड़ा अटका रहे हैं और हम इसके लिए आपको न्यायालय की अवमानना के लिए जिम्मेदार मान सकते हैं।’ कोर्ट ने फॉरेंसिक ऑडिटर्स से आयकर विभाग का वह आदेश भी पेश करने का आदेश दिया, जिसके तहत 2013-14 में 200 करोड़ रुपये के बोगस बिल जब्त किए गए थे। अन्य फॉरेंसिक ऑडिटर रवि भाटिया ने कोर्ट को बताया कि आम्रपाली समूह ने आयकर विभाग के आदेश के खिलाफ अपील की थी, जिसके बाद उस पैराग्राफ को डिलीट कर दिया गया, जिसमें 200 बोगस बिल्स की जानकारी थी। बेंच ने कहा, ‘आप हमारे समक्ष आयकर विभाग और अपीली प्राधिकरण के दोनों आदेश जमा करें। हम उन्हें देखना चाहेंगे।’

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