कार्बेट में क्यों वर्चस्व चाहते हैं बाघ

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हल्द्वानी। अनीता रावत
इंसानों की तरह बाघों के बीच भी वर्चस्व की लड़ाई होती है। इसकी आशंका जिम कार्बेट नेशनल पार्क में भी है। सिमटते दायरे में भोजन की कमी के करण बाघ आपस में ही लड़ सकते हैं। इस आशंका को देखते हुए पार्क प्रशासन तैयारी में जुट गया है।
बाघों के लिए मशहूर कार्बेट पार्क में मौजूद समय में बाघों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इस समय पार्क में 250 से अधिक बाघ हैं। वहीं एक बाघ के लिए कम से कम 20 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल चाहिए। बाघों की बढ़ती संख्या और पर्यटकों की बढ़ती मौजूदगी के कारण बाघों के रहने के दायरा सिमटने लगा है। पार्क प्रशासन की माने तो इस समय एक बाघ सिर्फ पांच वर्ग किलो मीटर में ही घूमते नजर आ रहे हैं। ऐसे में उनके सामने भोजन की समस्या उत्पनन हो रही है। भोजना और रहने का दायरा घटने के कारण बाघों में वर्चस्व की लड़ाई की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि बूढ़े बाघों के क्षेत्र में नौजवान बाघ प्रवेश कर हमला कर सकता है। वहीं बाघिन के लिए भी बाघों में बर्चस्व की लड़ाई की आशंका है। हालांकि पार्क प्रशासन इस आशंका को दूर करने के लिए पार्क में ग्रास लैंड विकसित करने की योजना बना रहा है। पार्क प्रशासन के अनुसार कार्बेट पार्क से अतिक्रमण हटाकर और ग्रांसलैंड विकसित कर बाघों के बीच आपसी संघर्ष रोकने की कोशिश की जाएगी। यही नहीं कार्बेट में मरने वाले जीवों को भी बाघों के लिए खुले में छोड़ने पर विचार हो रहा है। कार्बेट पार्क प्रशासन के अनुसार बाघों में आपसी संघर्ष रोकने के लिए भोजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जा रहा है।

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