राममंदिर के गर्भगृह में आसन पर विराजे रामलला

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अयोध्या, संवाददाता।
अयोध्या के रामंदिर के गर्भगृह में गुरुवार को रामलला विराजित हो गए। श्रीरामजन्म भूमि के गर्भगृह में रामलला के अचल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का संकल्प लेकर गणपति का पूजन किया गया। इसके क्रम में आचार्यादि ऋत्विग वरण कर उनका भी पूजन के साथ अनुष्ठान का सम्पूर्ण प्रभार सौंपा गया। गुरुवार को दोपहर 01.41 तक भद्रा होने के कारण वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रामलला के अचल विग्रह की प्रतिष्ठा अपराह्न 01.41 बजे के बाद की गई। यज्ञ मंडप के चारों द्वारों का वेदमूर्ति पूजन व चतुर्वेद पारायण के अलावा और यज्ञमंडप के षोडश स्तंभों का पूजन व देवताओं का आह्वान, अरणि मंथन से यज्ञ कुंड में अग्निदेव का प्राकट्य तदुपरांत यज्ञ कुंड में हवन का शुभारम्भ होगा।


श्रीरामजन्मभूमि में रामलला की प्रतिष्ठा के लिए की प्रतीक्षा गुरुवार को खत्म हो गई। बताया जा रहा है राम मंदिर के गर्भगृह में कूर्म शिला पर रामलला को प्रतिष्ठित किया गया है। श्याम शिला से निर्मित रामलला के प्रतिष्ठित विग्रह उसी शिला से बने कमल दल पर खड़े हैं। पांच वर्ष के बालक स्वरूप रामलला की लंबाई 51 इंच है जबकि आधार समेत उनकी ऊंचाई सात फिट दस इंच है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी व पीठाधीश्वर जगद्गुरु माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ ने रामलला के आसन को स्वर्ण मंडित नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि भविष्य में इसकी तैयारी है लेकिन अभी प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान मुख्य लक्ष्य है। उनका कहना है रामलला पाषाण खंड से निर्मित कमल दल पर ही खड़े हैं। इस कमल दल और प्रभावली (देवता का आलोकित आभामंडल) के कारण ही विग्रह का वजन डेढ़ कुंतल हो गया है। उन्होंने बताया कि काशी के शास्त्रज्ञ पं गणेश्वर शास्त्री द्रविड व सप्त दिवसीय अनुष्ठान के प्रतिष्ठाचार्य पं लक्ष्मीकांत दीक्षित की देखरेख में चल रहे वैदिक कर्मकाण्ड का संपादन प्रमुख यजमान डा अनिल मिश्र व उनकी धर्मपत्नी उषा मिश्रा ने किया। इस दौरान पुनश्च वरुण पूजन, मातृका पूजन, वसोर्धारा पूजन (सप्त घृत मातृका पूजन),आयुष्य मंत्र जप, नांदी श्राद्ध , मधुपर्क पूजन, मंडप प्रवेश, पृथ्वी-कूर्म -अनंत- वाराह- यज्ञभूमि पूजन, दिग् रक्षण, पंचगव्य प्रोक्षण, मंडपांग वास्तु पूजन, वास्तु बलिदान व मंडप सूत्र वेष्ठन इत्यादि कार्यक्रम पूरा किया गया है। बताया जा रहा है कि चतुर्वेदोक्त पुण्याहवाचन के साथ यहां श्रीमदवाल्मीकि रामायण, श्रीमद आध्यात्म रामायण, भुसुंडि रामायण व आनंद रामायण का भी पारायण चल रहा है। इससे पहले श्रीरामजन्म भूमि परिसर का परिभ्रमण करने वाले रामलला के रजत विग्रह को यज्ञ मंडप में पहुंचाया गया। अचल विग्रह व रजत विग्रह का प्राणाधान प्रतिष्ठा अनुष्ठान साथ-साथ चलेगा और विविध अधिवास भी समान रूप से किए जाएंगे। उडप्पी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ महाराज ने बताया कि रामलला के अचल विग्रह का अनुष्ठान गर्भगृह में ही होगा जबकि रजत विग्रह का अनुष्ठान यज्ञ मंडप में मध्य वेदी पर किया जाएगा। रजत विग्रह को यज्ञ मंडप में पहुंचा दिया गया है। उन्होंने बताया कि विधिपूर्वक अनुष्ठान के पांचवें दिन 21 जनवरी को शैय्याधिवास नव्य व दिव्य मंदिर के गर्भगृह में चल व अचल दोनों विग्रहों का एक साथ होगा। शुक्रवार को यज्ञमंडप के चारों द्वारों एवं षोडश स्तम्भों का भी पूजन व यज्ञ कुंड में अग्निदेव का प्राकट्य कराया जाएगा और होम की प्रक्रिया शुरू होगी। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले ज्योतिषाचार्य पं गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने अनुष्ठान पर प्रश्न चिह्न लगाने वालों को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि शिखर निर्माण के पहले और बाद इन दोनों ही अवस्थाओं में प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान शास्त्र सम्मत है। उन्होंने कहा कि रामलला का गर्भगृह पूरी तरह आच्छादित हो चुका है। ऐसी स्थिति में प्राण प्रतिष्ठा में किसी प्रकार का दोष नहीं है। मुहूर्त को लेकर भी उन्होंने कहा कि 22 जनवरी की तिथि सर्वोत्तम है। उन्होंने बताया कि श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि ने उनसे पत्र लिखकर मकर संक्रांति के बाद 25 जनवरी के मध्य का मुहूर्त देखने के लिए कहा था। उस पत्र के अनुसार मुहूर्त दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस के अलावा अप्रैल माह तक और अगली विजयदशमी पर कोई इतना शुभ मुहूर्त नहीं है।

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