56 इंच का फैसला : गरीब सवर्णों को दिया 10 फीसदी आरक्षण

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नई दिल्ली। अब गरीब सवर्णों को भी दस फीसदी आरक्षण मिलेगा। नरेंद्र मोदी सरकार ने आर्थिक आरक्षण देने के इस फैसले को अब तक का सबसे बड़ा फैसला बताया जा रहा है। इसके लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। क्योंकि अभी तक संविधान में जाति आधारित आरक्षण की ही बात है। भाजपा इसे 56 इंच का फैसला बता रही है तो कांग्रेस इसे स्टंट कह रही है।इस फैसले से आरक्षण का कोटा मौजूदा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जाएगा। लंबे समय से आर्थिक रूप से पिछले सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग की जा रही थी। परंतु सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 50 फीसदी से अधिक आरक्षण कोटा नहीं हो सकता, ऐसे में नए फैसले पर पेंच भी फंस सकता है।
लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया गया। ये आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को मोदी सरकार संविधान संशोधन बिल संसद में पेश कर सकती है। मंगलवार को ही संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है। सूत्रों की मानें तो यह आरक्षण 8 लाख सालाना आमदनी और 5 एकड़ से कम जमीन वाले सवर्णों को मिल सकता है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार यह आरक्षण आर्थिक आधार पर ला रही है। जिसकी अभी संविधान में व्यवस्था नहीं है। संविधान में जाति के आधार पर आरक्षण की बात कही गई है, ऐसे में सरकार को इसको लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार इसके लिए जल्द ही संविधान में बदलाव करेगी। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा। दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। वही इस फैसले के बाद जहां कांग्रेस ने इससे चुनावी स्टंट बताया वहीं कई दलों ने समर्थन दिया है।
2019 की पहली ही कैबिनेट बैठक में नरेंद्र मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को भी 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया। इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। भाजपा ने इसे 56 इंची फैसला बताया, वहीं कांग्रेस ने इसे मजाक करार दिया।
कांग्रेस की अमी याज्ञनिक ने कहा कि इस प्रकार के आरक्षण पर काफी तकनीकि दिक्कतें हैं। इस मुद्दे पर संशोधन विधेयक आने और उसे पारित होने में काफी समय लग सकता है। सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार का ये फैसला काफी अच्छा है। इससे समाज के एक बड़े तबके को लाभ होगा। सवर्णों में कई ऐसे लोग हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे, हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का जुमला है।

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