उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक टाइगर रिजर्व की जांच से हुए अलग

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हल्द्वानी। अनीता रावत
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व व कालागढ़ रिजर्व में हुए अवैध कटान-निर्माण की जांच से मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने खुद को अलग कर लिया है। पीसीसीएफ राजीव भरतरी ने मामले की जांच संजीव चतुर्वेदी को सौंपी थी।
अब संजीव चतुर्वेदी ने पीसीसीएफ भरतरी को पत्र लिखकर कहा है कि मामले की जांच को लेकर शासन और वन विभाग के उच्च स्तर पर पदस्थ कई अधिकारियों के विरोधाभासी बयान प्रकाशित हुए हैं। जिनमें जांच की वैधानिकता पर प्रश्न खड़े करने का प्रयास किया गया है। इतना ही नहीं पूरी जांच प्रक्रिया को शुरू होने से पहले ही पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में उनके लिए जांच करना संभव नहीं है। उन्होंने कि वह जांच तभी करेंगे जब शासन और विभाग स्तर पर जांच को लेकर स्पष्ट निर्णय होगा। संजीव चतुर्वेदी ने जांच से खुद को अलग करने की पुष्टि की है। गौरतलब है कि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने मामले की जांच एक अन्य अधिकारी को सौंपने की बात कही थी, जिसके बाद से विवाद खड़ा हुआ। पत्र में संजीव चतुर्वेदी ने लिखा है कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सत्तारूढ़ दलों के नेताओं, सीनियर आईएएस, आईएफएस समेत कई लोगों की निष्पक्षता व विधिसम्मत जांच की है। लेकिन इस मामले की जांच उन्हें मिलने के बाद इससे जुड़े लोगों में भय, व्याकुलता, भ्रम व संशय की जो स्थिति है, ऐसी पहले कभी नहीं देखी। सूत्रों के अनुसार कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के पाखरो वन विश्राम गृह और कालागढ़ वन विश्राम गृह के बीच अवैध निर्माण, जलाशय निर्माण, अवैध पेड़ काटे जाने के अलावा सीटीआर के आधा दर्जन से ज्यादा निर्माणों की जांच होनी है। पूरा मामला 200 करोड़ से ज्यादा का बताया जा रहा है। जिसकी जांच को लेकर दो गुट बन गए हैं।

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