यूपी में दो सीट देकर रालोद के सहारे वेस्ट यूपी साधेगी भाजपा

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मेरठ। सिर्फ दो सीट और पूरा वेस्ट यूपी साधने की कोशिश। वेस्ट यूपी में भाजपा का अपना भी जनाधार है, लेकिन राष्ट्रीय लोकदल के वोट बैंक पर मजबूत है। ऐसे में भाजपा ने दो सीट देकर पूरे वेस्ट यूपी को साधने की कोशिश की है।
गृह मंत्री आमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में जयंत चौधरी ने रालोद के एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी। बदले में भाजपा ने रालोद को लोकसभा के लिए दो सीटें दी है। शनिवार देर रात रालोद की तरफ से एनडीए में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा कर दी गई।
किसान पट्टी में भाजपा और रालोद की दोस्ती से नये राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद स्वाभाविक रूप से जयंत चौधरी का राजग की तरफ झुकाव हो गया था। उनकी पहली प्रतिक्रिया भी यही थी…दिल जीत लिया। सपा से सीटों को लेकर विवाद, जाट वोटों के समीकरण आदि कई मुद्दों पर रालोद की राहें राजग की ओर मुड़ गईं। शनिवार को इस दोस्ती पर मुहर भी लग गई। वर्ष 2018 में कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव से सपा और रालोद की दोस्ती शुरू हुई थी और दोनों दल गठबंधन कर मैदान में उतरे थे। तब सपा ने अपनी नेता तबस्सुम हसन को रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ाया था और जीत हासिल की थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में इन दोनों के साथ बसपा भी गठबंधन में शामिल हो गई। सपा ने रालोद की तीन सीटें दी थी, लेकिन रालोद एक भी सीट जीत नहीं पाई। सपा पांच सीटें जीती, जबकि बसपा ने दस सीटों पर जीत हासिल की थी। 2022 का विधानसभा चुनाव भी सपा और रालोद ने मिलकर लड़ा। सपा ने रालोद को 33 सीटें दी, जिसमें रालोद ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की थी। पिछले दो लोकसभा चुनावों में खाता भी नहीं खोल सकी रालोद किसी भी हालत में तीसरे लोकसभा चुनाव में शून्य की हैट्रिक नहीं लगाना चाहती थी। सूत्रों की मानें तो लंबे समय से भाजपा के नेताओं का एक धड़ा भी रालोद के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में था। अब स्पष्ट हो चुका है कि आगामी लोकसभा चुनाव रालोद भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ने जा रही हैं। जिसको लेकर दोनों दलों के नेता खासे उत्साहित हैं। गौरतलब है कि रालोद ने अभी तक सबसे अधिक लोकसभा सीटें भाजपा के साथ गठबंधन में जीती हैं। वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव रालोद ने सपा के साथ गठबंधन कर लड़ा था। इस चुनाव में रालोद दस सीटों पर लड़ी और तीन पर जीत हासिल की। वर्ष 2009 में रालोद भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी और सात सीटों पर चुनाव लड़ा, पांच सीटों पर उसे जीत मिली। लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी।

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