48 घंटे में बताएं, क्यों बनाते हैं दागियों को प्रत्याशी

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नई दिल्ली। टीएलआई

आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को चुनाव में प्रत्याशी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों से सवाल पूछा है। राजनीतिक दलों को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन के कारणों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि राजनीतिक दलों को 48 घंटे में अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर विवरण अपलोड करना अनिवार्य होगा। वहीं चुनाव आयोग को 72 घंटे के भीतर ब्योरा भी देना होगा।

वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय और अन्य द्वारा दायर अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवारों का चयन करने का कारण योग्यता के आधार पर होना चाहिए, न कि जीतने के आधार पर। जीतने की काबिलियत तर्कसंगत नहीं हो सकता। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन का कारण बताने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि अखबारों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अपनी वेबसाइट पर ऐसे उम्मीदवारों का परिचय पत्र, उपलब्धियां और उनके अपराध का विवरण प्रकाशित करें। इतना ही नहीं उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा है कि यदि राजनीतिक दल आदेश का पालन नहीं करते हैं तो वह अवमानना के उत्तरदायी होंगे। अदालत ने चुनाव आयोग से कहा है कि यदि राजनीतिक पार्टियां आदेश का पालन करने में विफल रहती हैं तो वह अदालत में अवमानना याचिका दायर करे। गौरतलब है कि अदालत ने यह फैसला इसलिए दिया है क्योंकि पिछले चार राष्ट्रीय चुनावों में राजनीति के अपराधीकरण में काफी ज्यादा वृद्धि देखने को मिली है। बता दें कि जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा आठ दोषी राजनेताओं को चुनाव लड़ने से रोकती है। लेकिन ऐसे नेता जिन पर केवल मुकदमा चल रहा है, वे चुनाव लड़ने के लिये स्वतंत्र हैं। भले ही उनके ऊपर लगा आरोप कितना भी गंभीर है।

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