सैन्य धाम में प्रयोग होगी शहीदों के घर की मिट्टी : मंत्री जोशी

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हल्द्वानी। अनीता रावत
ध्याड़ी गांव के शहीद लांसनायक दिनेश सिंह कैड़ा के नाम पर ध्याड़ी-मिरगांव-मानेसर मोटर मार्ग का कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने बुधवार को शिलान्यास किया। इस दौरान जोशी ने शहीद के माता-पिता को भी सम्मानित किया। 10 किमी लंबे इस मोटर मार्ग के निर्माण से ग्रामीणों को आवागमन में लाभ होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक शहीद परिवार के घर के आंगन की पवित्र मिट्टी का इस्तेमाल सैन्य धाम में किया जाएगा।


बुधवार को अल्मोड़ा के ध्याड़ी गांव पहुंचे सैनिक कल्याण औद्योगिक विकास, लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम मंत्री मंत्री जोशी ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है। प्रथम विश्व युद्ध से लेकर कारगिल तक उत्तराखंड के वीर जवानों ने अपनी शहादत दी है। यह गांव ऐसा है, जहां पर प्रत्येक परिवार का व्यक्ति सेना में है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सैनिक कल्याण विभाग सैन्यधाम निर्माण के लिए कटिबद्ध है। इस दौरान जोशी ने लोगों को सैन्य सहित सम्मान यात्रा की तैयारियों के बारे में बताया।

कहा कि यात्रा के दौरान प्रत्येक शहीद परिवार के घर जाकर उनके आंगन की पवित्र मिट्टी सैन्य धाम के लिए लाई जाएगी। सैन्य धाम के निर्माण में इस मिट्टी का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 21 अक्तूबर को चमोली के सवाड़ में केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और 24 अक्तूबर को पिथौरागढ़ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस यात्रा का शुभारंभ करेंगे। वहीं काबीना मंत्री गणेश जोशी ने पूर्व सैनिकों के साथ संवाद करते हुए वन रैंक वन पेंशन के संबंध में भी वार्तालाप किया और सभी को बधाई देते हुए कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार ने वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे को सुलझाया है। उन्होंने बताया कि सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों के लिए राज्य सचिवालय और विधानसभा में उनका अपना आईडी कार्ड भी वहां का प्रवेश पत्र माना जाएगा। जिला स्तर पर प्रभारी अधिकारी को नियत किया गया है कि वह सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों की समस्याओं को सुनें और उनका निस्तारण करें। सड़क के डामरीकरण और शहीद स्मारक के लिए भी उन्होंने भरपूर प्रयास करने का आश्वासन स्थानीय लोगों को दिया। उन्होंने बताया कि 2018 के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा शहीद परिवारों में से 17 व्यक्तियों को सरकारी नौकरी में समायोजित किया जा चुका है।

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