उत्तराखंड में आज से नजर आएगी टूटते तारों की बौछारें

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हल्द्वानी। अनीता रावत
आज से अगले एक महीने तक अंतरिक्ष में टूटते तारों के नजारे देखे जा सकेंगे। जिसे वैज्ञानिकों ने ओरिओनिड्स उल्कापात का नाम दिया है। आज से शुरू हो रहा यह उल्कापात सत्र का सिलसिला सात नवंबर तक जारी रहेगा। अनुमान के अनुसार इस अवधि में रात के समय रोज 50 से अधिक टूटते उल्का देखे जा सकेंगे। यह उल्काएं ओरिओनिड्स तारा समूह की दिशा से आकर पृथ्वी के निकट से गुजरेंगे। इस कारण पृथ्वी के विभिन्न इलाकों से टूटते तारों के सुंदर नजारे देखे जा सकेंगे।


नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के पब्लिक आउटरीच कार्यक्रम प्रभारी डॉ. विरेंद्र यादव के अनुसार रात के समय खुले आसमान में उल्कापात का नजारा देखा जा सकेगा। चंद्रमा की रोशनी जितनी कम होगी उल्कापात का नजारा उतना ही अच्छा दिखेगा। अनुमान के अनुसार इसमें हर रात करीब 50 के आसपास टूटते तारे देखे जा सकेंगे। उल्कापात का नाम उस तारामंडल के नाम पर रखा जाता है जिस दिशा से उल्काएं आ रही हैं। इस बार का उल्कापात ओरायन या मृग नक्षत्र की दिशा से आ रहा है। साल की एक निश्चित अवधि में आकाश में कई सारे उल्कापिंड देखने को मिलते हैं। पृथ्वी विभिन्न उल्का तारों के सूरज के निकट जाने के बाद छोड़ी गई धूल के बचे मलबे से गुजरती है। जिन्हें उल्का बौछार कहा जाता है। ये बौछार उल्का पिंड की चमकदार रोशनी की जगमगाती धारियां होती हैं। दरअसल धूल के कण बेहद तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घर्षण के कारण प्रकाश की खूबसूरत धारी बनती है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगले कुछ महीनों में चार नए उल्कापात होंगे। इसमें सबसे अधिक चमकदार उल्कापात दिसंबर महीने में होगा। जिसे जेरमिड उल्कापात कहा जाता है। इस समय एक रात के समय सौ से अधिक उल्काएं आसमान में नजर आती हैं। यह काफी चमकदार भी होती हैं।

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