अवैध धर्मांतरण में मौलाना कलीम सिद्दीकी गिरफ्तार

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लखनऊ। राजेन्द्र तिवारी
यूपी एटीएस ने अवैध धर्मांतरण के गिरोह में शामिल मुजफ्फरनगर निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी को मंगलवार की रात मेरठ से गिरफ्तार किया है। बुधवार को उससे लखनऊ में एटीएस ने लंबी पूछताछ की। कलीम सिद्दीकी पर आरोप हैं कि वह अपने साथी उमर गौतम के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत पूरे देश में धर्मांतरण का सिंडिकेट चला रहा था। इससे लिए उसे विदेश से हवाला के जरिये करोड़ों रुपये मिल रहे थे। एटीएस ने अभी तक ऐसी करीब तीन करोड़ रुपये की रकम का पता लगाया है, जिसमें से 1.5 करोड़ रुपये बहरीन से उसके खाते में जमा कराए गए थे। यह रकम देश भर के मदरसों में पहुंचाई जाती थी।
एटीएस के एडीजी प्रशांत कुमार और आईजी जीके गोस्वामी ने लखनऊ में बताया कि कलीम सिद्दीकी ज्यादातर दिल्ली में रहता था और विभिन्न प्रकार की धार्मिक, सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाओं के जरिये धर्मांतरण का रैकेट चलाता था। विवेचना में सामने आया कि वह गैर-मुस्लिम लोगों को गुमराह कर धर्म परिवर्तन करवाता था। इसके लिए उसे विदेश से मोटी रकम हवाला के जरिये दी जाती थी। उन्होंने कहा कि कलीम के बैंक खाते से 3 करोड़ रुपये की रकम मिली है, जिसमें से 1.5 करोड़ रुपये हाल ही में बहरीन से आए हैं। ऐसे में उनके खिलाफ फेरा कानून की धाराओं में भी अपराध दर्ज किया जाएगा।
प्रशांत कुमार ने कहा कि जांच में तथ्य सामने आए हैं कि उसके साथ देश की कई नामी धार्मिक संस्थाएं भी जुड़ी हुई थीं जो अवैध धर्मांतरण में उसकी मदद करती थीं। वह जामिया इमाम वलीउल्ला नाम का एक ट्रस्ट चलाता था। इस ट्रस्ट के जरिये देश भर में धार्मिक कार्यक्रम चलाए जाते थे और उसकी आड़ में अवैध रूप से धर्मांतरण कराया जाता था। आईजी जीके गोस्वामी ने बताया कि हवाला से आई रकम का ट्रस्ट के जरिये मदरसों में भेजा जाता था। ट्रस्ट के बैनर तले मौलाना कलीम सिद्दीकी पैगाम-ए-इंसानियत के संदेश देने के लिए मदरसों में जाता था। वहां लोगों को जन्नत और जहन्नुम का भय दिखाया जाता और गैर-मुस्लिम लोगों का धर्मांतरण करने के लिए प्ररित व प्रशिक्षित किया जाता था। धर्मांतरण के लिए कलीम खुद साहित्य लिखता था, जो प्रिंट व आनलाइन दोनों रूप से मौजूद रहता था। यह साहित्य धर्मांतरण के लिए मुफ्त में बांटा जाता था। जांच में सामने आया कि एटीएस द्वारा जून में गिरफ्तार उमर गौतम को जो संस्थाएं यानी अल-हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन फंडिंग करता था, वहीं ट्रस्ट मौलाना कलीम को भी रकम दे रहा था। एटीएस का दावा है कि कलीम लोगों के बीच यह बात फैलाता था कि शरीयत के तहत ही तीन तलाक कानून का निपटारा किया जाए। शरीयत ही सही कानून है। वह लोगों के बीच यह विश्वास कायम करने की कोशिश करता कि शरीयत ही सच्चा न्याय दिला सकता है। एटीएस ने कलीम को गिरफ्तार करने के लिए छह सदस्यों की टीम बनाई थी, जो लगातार उसकी निगरानी और उसके बारे में पड़ताल कर रही थी।

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