पंजशीर में तालिबान पर भारी पड़ रहे मसूद के लड़ाके

अंतरराष्ट्रीय

काबुल।
उत्तरी अफगानिस्तान के पंजशीर में सोमवार को तालिबानी आतंकी और अहमद मसूद के लड़ाकों के बीच जंग शुरू हो गई। पंजशीर घाटी अफगानिस्तान के उन चंद इलाकों में है, जहां अभी तालिबान का कब्जा नहीं हुआ है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अंदराब में हुई लड़ाई में 50 से अधिक तालिबान लड़ाके मारे गए हैं और 20 से अधिक लड़ाकों को बंधक बनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबानी आतंकी और अहमद मसूद के लड़ाकों के बीच भारी गोलीबारी हो रही है। इस लड़ाई में तालिबान के क्षेत्रीय कमांडर के मारे जाने का दावा भी किया गया है। वहीं पंजशीर समर्थक एक लड़ाके की मौत हुई है और 6 घायल हुए हैं। पंजशीर प्रोविनेंस ने ट्वीट कर बताया है कि तालिबान का बानू जिला प्रमुख मारा गया है। उसके तीन साथी भी ढेर कर दिए गए। अंद्राब के विभिन्न इलाकों में लगातार दोनों गुटों के बीच टकराव चल रहा है। फज्र इलाके में भी कई तालिबानी आतंकियों को मारा गया है। अफगानिस्तान के कुल 34 प्रांतों में से 33 प्रांतों में तालिबान का कब्जा हो चुका है। 15 अगस्त को तालिबानी लड़ाकों ने राजधानी काबुल पर कब्जा किया था, जिसके बाद जल्द सरकार बनाने का दावा किया गया था।
इससे पहले तालिबान के प्रवक्ता जबील्ला मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने पंजशीर प्रांत की घेरेबंदी कर दी है। अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रहे अमरूल्ला सालेह ने ट्विटर पर लिखा कि तालिबान लड़ाके प्रांत के आसपास एकत्रित हो गए हैं। मुजाहिद ने कहा कि तालिबान की योजना पंजशीर के लोगों से बात करने की है। उन्होंने कहा, अभी तक तो वहां लड़ाई नहीं हो रही। हम पंजशीर के लिए शांतिपूर्ण समाधान खोजना चाहते हैं। पंजशीर काबुल के उत्तर में हिंदूकुश क्षेत्र में स्थित एक बेहद दुर्गम घाटी है, जो ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरी है। अफगान अवाम इसे भूलभुलैया के तौर देखती है, जहां परिंदे का पर मारना भी मुश्किल माना जाता है। यही कारण है कि 1980 के दशक से लेकर अब तक पंजशीर घाटी पर तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है।

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