तालिबान के खिलाफ आईएसआई ने बनाया था खुरासान

अंतरराष्ट्रीय

काबुल।

काबुल हवाई अड्डे के बाहर जमा भीड़ पर आतंकी हमला करने की जिम्मेदारी
इस्लामिक स्टेट की खुरासान शाखा ने काबुल में हमले की जिम्मेदारी ली है। तालिबान के खिलाफ जंग लड़ने के लिए ही आईएसआईएस ने इसका गठन किया था। खुरासान ने गुरुवार को काबुल में बम धमाका कर अपने मकसद साफ कर दिए। गुरुवार को धमाके में आम अफगानी, अमेरिकी सेना के अलावा तालिबानी लड़ाकों के मारे जाने की भी पुष्टि पेंटागन ने की है।
खुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले चरमपंथी संगठन ने हाल में तालिबान को इस्लाम का लिबास पहने हुए ऐसा बहरूपिया करार दिया, जिसका इस्तेमाल अमेरिका मुसलमानों को बरगलाने और क्षेत्र से इस्लामिक स्टेट की उपस्थिति खत्म करने के लिए कर रहा है। आईएसआई ने अपने अखबार अलनबा में 20 अगस्त के संपादकीय में कहा कि ये सौदेबाजी की जीत है न की जेहाद और इस्लाम की। तालिबान को अफगानिस्तान में कोई जीत हासिल नहीं हुई है बल्कि अमेरिका ने उन्हें इस मुल्क की कमान सौंप दी है। साथ ही कहा कि उसे शक है कि तालिबान अफगानिस्तान में वास्तविक शरिया कानून स्थापित कर पाएगा। गौरतलब है कि इस्लामिक स्टेट और तालिबान ने जनवरी, 2015 में एक-दूसरे के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था। तब आईएसआई ने खुरासान शाखा बनायी, इसे आईएसआईएस-के के नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में अफगानिस्तान, पाक, ईरान और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों को खुरासान कहते हैं। यह आतंकी समूह अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान को नहीं हथियाने देना चाहता। आईएसआईएस-के अपनी स्थापना के बाद से पूरे देश में तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाते हुए अफगान तालिबान सदस्यों को अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रहा है। 2019 में अंत में अमेरिकी सेना और अफगानी सरकार के कारण आईएसआईएस-के के लड़ाकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा था। इसके बाद यह संगठन पहले की तुलना में कमजोर हो चुका है। फिलहाल उसका लक्ष्य अपने लड़ाकों की फौज को फिर से खड़ा करना है। वह बड़े हमले करके यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसके संगठन को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में अप्रांसगिक न माना जाए। भले इस्लामिक स्टेट और तालिबान एक-दूसरे को प्रतिद्वंदी मानते हों पर इन दोनों की कट्टर विचारधारा मानवीय मूल्यों के खिलाफ और एकसमान है। दूसरी ओर, काबुल में सुरक्षा की जिम्मेदारी तालिबान ने हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख खलील हक्कानी को सौंपी है जो अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ की सूची में शामिल वैश्विक आतंकी है। इसके समूह को अलकायदा और तालिबान का पूरा समर्थन है। ये समूह अपने सहयोगी संगठनों के जरिए एशिया, अफ्रीका ही नहीं पश्चिमी देशों में भी आतंकी गतिविधियां चला रहे हैं।

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