कश्मीर को मिली नेहरू की दो गलतियों की सजा

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नई दिल्ली।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। शाह ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान हुए दो ब्लंडर (भारी गलती) का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा।लोकसभा में कश्मीर से जुड़े दो विधेयकों पर चर्चा में विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों का जबाब देते हुए शाह ने कांग्रेस पर पिछड़ा वर्ग का विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ग को सम्मान व अधिकार दिया है। गृह मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि नेहरू की दो गलतियां, 1947 में आजादी के कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम करना और जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की थी। अगर संघर्ष विराम नहीं हुआ होता तो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) अस्तित्व में नहीं आता। जब हमारी सेना जीत रही थी, तो पंजाब का क्षेत्र आते ही संघर्ष विराम कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर संघर्ष विराम तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता।दूसरा, इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाना चाहिए था, लेकिन अगर ले जाना था तो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 51 के तहत ले जाना चाहिए था, लेकिन चार्टर 35 के तहत ले जाया गया। उन्होंने कहा कि नेहरू ने खुद माना था कि यह गलती थी, लेकिन वह मानते हैं कि यह ब्लंडर (भारी गलती) था। इसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा। इस बीच बीजद के भर्तृहरि ने कहा कि इसके लिए हिमालयन ब्लंडर (विशाल भूल) का प्रयोग किया जाता है। गृह मंत्री चाहें तो इसका भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

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