नई दिल्ली। शुक्रवार तड़के इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान पर व्यापक सैन्य हमला किया, जिसमें परमाणु सुविधाओं, मिसाइल ठिकानों और सैन्य कमांडरों को निशाना बनाया गया। इजरायली सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने बताया कि इस अभियान में करीब 200 लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया और लगभग 100 महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर सटीक हमले किए गए। स्थानीय मीडिया के अनुसार, तेहरान के आसपास छह प्रमुख सैन्य अड्डों पर हमले हुए, जिसमें दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और छह परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने की खबर है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से अपील की है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर वाशिंगटन के साथ एक समझौता करे और आगाह किया कि इजरायल के हमले और भी भीषण होते जाएंगे। हमलों के बाद, अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ”अब भी समय है कि इस नरसंहार को रोका जाए, क्योंकि पहले से योजनाबद्ध आगामी हमले और भी भीषण होंगे।
इसके जवाब में ईरान ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए इजरायल पर 100 से अधिक ड्रोन हमले शुरू किए। इजरायली सेना ने दावा किया कि उनकी उन्नत रक्षा प्रणालियाँ इन हमलों को रोकने में जुटी हैं। यह ताजा संघर्ष ईरान के तेजी से विकसित हो रहे परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते तनाव का परिणाम माना जा रहा है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन चुका है दोनों देशों के बीच यह ताजा टकराव मध्य पूर्व में पहले से ही अस्थिर स्थिति को और गंभीर बना सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि इसके परिणाम क्षेत्रीय शांति और वैश्विक सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। इजरायल के सैन्य प्रवक्ता एफी डेफ्रिन ने बताया कि ईरान में कई स्थानों हमला किया गया, जिसमें मुख्य परमाणु संवर्धन केंद्र भी शामिल है। हमले के बाद वहां से काला धुआं उठता देखा गया। इस हमले में ईरान के अर्द्धसैनिक बल रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और ईरान के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी भी मारे गए। इसके अलावा, ईरान में रिवॉल्यूशनरी गार्ड के मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख जनरल आमिर अली हजीजादेह को भी मार गिराया है। हजीजादेह रिवॉल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख कमांडर थे, जो उसके बैलिस्टिक मिसाइल शस्त्रागार की निगरानी करते थे। ईरान ने आधिकारिक तौर पर उनकी मौत की तत्काल पुष्टि नहीं की है। इस बीच, इजरायल ने पूरे देश में विशेष आपातकाल की घोषणा कर दी है। गौरतलब है कि इन हमलों से पश्चिम एशिया के दो कट्टर विरोधी मुल्कों के बीच व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इसे 1980 के दशक में इराक के साथ युद्ध के बाद ईरान पर सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि नतांज स्थित ईरान के मुख्य संवर्धन केंद्र सहित अन्य ठिकानों पर हमला किया गया है। ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के उद्देश्य से यह हमला किया गया। एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, कुछ ही समय पहले इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया है जो इजराइल के अस्तित्व के लिए ईरानी खतरे को खत्म करने के वास्ते एक लक्षित सैन्य अभियान है। खतरे के समाप्त होने तक यह अभियान जारी रहेगा। हमले के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने हमले के बाद कहा कि इजरायल को कड़ी सजा दी जाएगी। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए ने खामनेई के बयान को जारी किया। इसने पुष्टि की कि हमले में सेना के शीर्ष अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए हैं। खामनेई ने कहा कि उनके देश में हुए इस अपराध में इजराइल के शैतानी और रक्त-रंजित हाथ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इजराइल ने आवासीय इलाकों पर हमला करके अपनी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को उजागर किया है। तेहरान पर हमले के बाद हमले के बाद इजरायल के मुख्य हवाई अड्डे को बंद कर दिया गया। वहीं ईरान, इराक और जॉर्डन ने भी एहतियात के तौर पर सभी उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र बंद कर दिए हैं। इजराइली रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने कहा कि हमलों के बाद, इजरायल और उसकी नागरिक आबादी पर मिसाइल और ड्रोन हमले होने की आशंका है। इन हमलों के बीच भारतीय दूतावास ने इजरायल में मौजूद भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और गैर जरूरी यात्रा करने से बचने की सलाह दी है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने कहा कि इन हमलों में उसका कोई हाथ नहीं है। साथ ही उसने अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना बनाकर किसी भी प्रकार की कार्रवाई किए जाने के प्रति चेतावनी दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि इजरायल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की है और इजरायल ने अमेरिका से कहा है कि ये हमले उसकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थे। इजरायल के सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि देश की खुफिया एजेंसी मोसाद ने शुक्रवार के हमलों से पहले तस्करी के जरिये ड्रोन और अन्य हथियार ईरान भेजे थे, जिनका इस्तेमाल वहां आंतरिक सुरक्षा को निशाना बनाने के लिए किया गया। अधिकारियों ने कहा कि ईरान के अंदर विस्फोटक ड्रोन दागने के लिए एक बेस बनाया गया था और तेहरान के पास एक ईरानी बेस पर मिसाइल लांचर्स को निशाना बनाने के लिए ड्रोन सक्रिय किए गए। उन्होंने कहा कि मध्य ईरान में सटीक हथियार भी तस्करी के जरिये पहुंचाए थे और उन्हें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों के पास तैनात किया था। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने शुक्रवार को इजरायली हमलों में मारे गए दो शीर्ष सैन्य कमांडरों के स्थान पर नए अधिकारियों की नियुक्ति की। ईरान की सरकारी टीवी ने बताया कि जनरल मोहम्मद बाघेरी की जगह जनरल अब्दुलरहीम मूसावी को सशस्त्र बलों का नया प्रमुख नियुक्त किया है। मौसवी पहले शीर्ष सैन्य कमांडर थे। इसके अलावा, जनरल हुसैन सलामी के स्थान पर मोहम्मद पाकपोर को अर्द्धसैनिक बल रिवॉल्यूशनरी गार्ड का नेतृत्व करने के लिए चुना। ईरान ने रिवॉल्यूशनरी गार्ड की स्थापना 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद की थी। यह देश में सत्ता के प्रमुख केंद्रों में से एक है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने पुष्टि की कि इजराइली हमले में ईरान के नतांज स्थित यूरेनियम संवर्धन संयंत्र को निशाना बनाया गया। आईएईए के प्रमुख राफेल मारियानो ग्रॉसी के हवाले से ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा गया, ‘ईरान में बेहद चिंताजनक स्थिति है और आईएईए इस पर बारीकी से नजर रख रहा है। विकिरण के स्तर को लेकर एजेंसी ईरानी अधिकारियों के संपर्क में है। हम देश में अपने निरीक्षकों के साथ भी संपर्क में हैं। इजरायल-ईरान के बीच जारी युद्ध की आशंका के बीच शुक्रवार को जॉर्डन की राजधानी में हवाई हमले के सायरन बजने लगे। जॉर्डन के सरकारी मीडिया ने अपनी खबर में कहा कि देश की वायु सेना अपने हवाई क्षेत्र में आने वाले ड्रोन और मिसाइलों को रोक रही है।
