रानीखेत में भारत-ब्रिटेन के बीच संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास

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हल्द्वानी। अनीता रावत
चौबटिया छावनी में भारत और यूनाइटेड किंगडम के मध्य संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास ‘अजेय वॉरियर’ जारी है। कंपनी स्तरीय सैन्य प्रशिक्षण के छठे संस्करण के तहत दोनों देशों की सेनाएं आतंकवाद की चुनौती और आंतरिक विद्रोह से निपटने की दिशा में उच्चकोटि की रणनीतिक तकनीकें हासिल करेंगी। संयुक्त सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए सेनाएं एक-दूसरे के ऑपरेशनल अनुभवों एवं तकनीक को साझा कर रही हैं। संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।


चौबटिया छावनी में बीती 7 अक्तूबर से भारत और यूनाइटेड किंगडम की सेनाओं का संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास चल रहा है। हालांकि सेना की ओर से युद्धाभ्यास की जानकारी एवं आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई गई। इधर, बुधवार सेना की मध्य कमान के पत्र सूचना कार्यालय के पीआरओ की ओर से युद्धाभ्यास के विषय में जानकारी साझा की गई। इसके अनुसार भारत-यूके कंपनी स्तर का संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण युद्धाभ्यास अजेय वॉरियर का छठा संस्करण रानीखेत के चौबटिया में शुरू हुआ है।

20 अक्तूबर तक चलने वाला युद्धाभ्यास विदेशी राष्ट्रों के साथ अंतर-संचालनीयता और विशेषज्ञता साझा करने की पहल का हिस्सा है। युद्धाभ्यास में भारतीय सेना की एक इंफेट्री कंपनी तथा यूके सेना की भी इतनी ही सैन्य टुकड़ी अपने-अपने सैन्य अभियानों के अनुभवों को साझा करेंगी। दोनों देशों की सेनाएं देश-विदेश में अपने-अपने युद्ध-ऑपरेशन के अनुभवों से एक-दूसरे को लाभान्वित करेंगी। संयुक्त सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए सेनाएं एक-दूसरे के हथियारों, उपकरणों, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं से भी परिचित होंगी। इसके अलावा संयुक्त शस्त्र अवधारणा, संयुक्त बल में अनुभवों को साझा करने, ऑपरेशन लॉजिस्टिक्स आदि आपसी हित के अनुभवों को संयुक्त सेनाओं द्वारा साझा किया जा रहा है। इन विषयों पर विशेषज्ञ अकादमिक चर्चाओं की एक विस्तृत श्रृंखला आयोजित की जा रही है। सैन्य अधिकारियों के अनुसार, संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण का समापन 48 घंटे के कठिन अभ्यास के साथ संयुक्त सैन्य अभियान चलाने में दोनों सेनाओं के प्रदर्शन को मान्यता प्रदान के साथ किया जाएगा। संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक लंबा मार्ग तय करेगा तथा दोनों देशों के बीच मित्रता के पारंपरिक बंधन को और भी मजबूती प्रदान करने की दिशा में यह बड़ा कदम साबित होगा।

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