अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालना सरकार की प्राथमिकता : जयशंकर

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नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
काबुल में हालात ठीक नही हैं। काबुल एयरपोर्ट और आसपास हो रही गोलीबारी सुरक्षित निकासी के अभियान में चुनौती है। वहां से सभी भारतीयों को सुरक्षित निकालना ही सरकार की प्राथमिकता है। यह बातें अफगानिस्तान की स्थिति पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहीं। उन्होंन
अफगानिस्तान पर सर्वदलीय बैठक में 31 पार्टियों के 37 नेता बैठक में मौजूद थे। इस मुद्दे पर सरकार और सब राजनीतिक पार्टियों की एक जैसी राय है। एक अफगान महिला को डिपोर्ट किए जाने का मामला बैठक में उठा। इसपर सरकार ने भरोसा दिया कि फिर ऐसा न हो ये सुनिश्चित होगा। भारत सरकार द्वारा अफगानिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए क्रमिक रूप से उठाए गए कदम की जानकारी भी बैठक में दी गई। सरकार ने बताया कि जून 2021 में ही काबुल में दूतावास की संख्या में कमी कर दी गई थी। कंधार से 10-11 जुलाई को अपने कर्मियों को निकाल लिया गया। जबकि मजार ए शरीफ 10 और 11 अगस्त को निकासी की गई। इसके अलावा कई सुरक्षा परामर्श 29 जून, 24 जुलाई, 10 अगस्त और 12 अगस्त को जारी किए जारी किए गए। इनमें भारतीय नागरिकों को तुरंत अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी गई। बैठक में जयशंकर ने बताया कि भारतीय नागरिकों की निकासी और राजनयिकों की सुरक्षा के अलावा भारत संकट में फंसे अफगान नागरिकों की सहायता को भी अपनी प्राथमिकता मानता है। साथ ही पड़ोस प्रथम की नीति के तहत नेतृत्व प्रदान करना और अंतरराष्ट्रीय समन्वय और मानवीय प्रयास भी प्राथमिकता के तौर पर जारी है। बैठक में यूएन सहित अन्य बैठकों व बातचीत का भी हवाला दिया गया। विशेष अफगान प्रकोष्ठ की जानकारी देते हुए बैठक में बताया गया कि अभी तक 3014 काल इसपर आई हैं। कुल 7826 व्हाट्सएप संदेश का जवाब दिया गया है और 3101 ईमेल के उत्तर दिए गए हैं। जयशंकर ने भारतीयों को निकालने के अभियान में सामने आ रही चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हवाई अड्डे के पास और काबुल में लगातार गोलीबारी हो रही है। साथ ही विभिन्न समूहों द्वारा काबुल में जगह-जगह चेक पॉइंट बनाए गए हैं। हवाई अड्डे पर तरह-तरह की परेशानी हो रही है। लैंडिंग की अनुमति में देरी भी बड़ा मसला है। साथ ही जिन देशों की सीमा से उड़ान भरनी है ओवर फ्लाइट क्लियरेंस भी किसी चुनौती से कम नही है। जयशंकर ने बैठक में फ्लोर लीडर्स को बताया कि तालिबानी कब्जे के बाद काबुल में जमीनी समन्वय में भी दिक्कत आ रही है।

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