चीन ने उत्तराखंड सीमा पर फिर दिखाई चालबाजी

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हल्द्वानी। अनीता रावत
लिपूलेख से सटी भारत-चीन सीमा पर निगरानी के लिए चीनी सैनिकों ने अपनी तरफ बेहतर रास्तों का निर्माण किया है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में बदहाल रास्तों के कारण जवानों को हो रही दिक्कत के बाद चीनी सेना ने पूरे पैदल रास्ते को बेहतर बनाया है। इस काम में तीन माह से अधिक समय से 300 से अधिक चीनी सैनिक लगे रहे।
भारत के चीन के साथ संबंधों में तनाव के बाद सुरक्षा को लेकर चीन चौकन्ना हो गया है। उसने लिपूलेख चीन सीमा पर निगरानी के लिए रास्तों की मरम्मत कराई है। इस काम के लिए उसने अपनी सेना के जवानों को लगाया। उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण दोनों ही देशों के लिए इस सीमा पर नजर रखना आसाना नहीं है। शीतकाल में सैनिकों को बर्फबारी के कारण खासी दिक्कतें उठानी पड़ती है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीनी सेना ने अपने सैनिकों की इसी तरह की दिक्कतों को समझते हुए वहां करीब 12 किमी से अधिक सीमा से सटे क्षेत्र को जोड़ने वाले रास्तें में काम किया है। उनके अनुसार पिछले सालों की तुलना में चीनी सेना ने यहां अपनी सक्रियता भी बढ़ाई है। लगातार चीनी सैनिक इस क्षेत्र में पट्रोलिंग कर रहे हैं। दो साल से कोरोना के कारण मानसरोवर यात्रा व भारत चीन व्यापार नहीं हो रहा है। हर साल जून माह से इसी दर्रें से दोनों देशों के बीच मानसरोवर यात्रा व व्यापार होता था। यात्रा पथ के पूरे समय खाली मिलने से भी चीनी सैनिकों को काम करने में किसी तरह की बाधा नहीं हुई। इस समय का उपयोग उन्होंने अपने क्षेत्र में संपर्क मार्ग बेहतर करने में किया।

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