
हल्द्वानी, गौरव जोशी। भोटिया पड़ाव क्षेत्र अवस्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर में ‘संस्कारों की पाठशाला’ का आयोजन किया गया। यह आयोजन महिला महाविद्यालय हल्द्वानी की नमामि गंगे इकाई की ओर से राज्य स्वच्छता गंगा मिशन के तहत किया गया। बताया जा रहा है कि यह मंदिर वर्ष 1954 में स्थापित हुआ था और आज भी आस्था और संस्कृति का केंद्र बना हुआ है। कार्यक्रम में क्षेत्र के लोगों को भारतीय परंपराओं और जीवन मूल्यों से परिचित कराया गया।वेदाचार्य के0बी0 पाठक ने बच्चों को दीप प्रज्वलन की महत्ता बताते हुए कहा कि दीपक केवल प्रकाश का स्रोत नहीं, बल्कि अज्ञानता के अंधकार को दूर करने वाला ज्ञान का प्रतीक है। यह आत्मज्योति को जगाने का एक माध्यम भी है। उन्होंने मौली (कलावा) और भगवा रंग की प्रतीकात्मकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि “मौली रक्षा का सूत्र है, जो मनुष्य को बुरे विचारों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। वहीं भगवा रंग त्याग, तपस्या और समर्पण का प्रतिनिधि है, जो सनातन संस्कृति की आत्मा में रचा-बसा है।”
योगाचार्य ज्योति चुफाल ने शिविरार्थियों को प्रसाद के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व से भी अवगत कराया गया। उन्हें बताया गया कि यह न केवल ईश्वर की कृपा का प्रतीक है, बल्कि सामूहिकता, नम्रता और पवित्रता का भाव भी संजोए रहता है। तत्पश्चात योगाचार्य ज्योति चुफाल ने सभी को योग प्राणायाम ध्यान की बारीकियों से रुबरु करे हुए अभ्यास करवाया। वहीं इतिहासकार डॉ0 सर्वेश भारती ने कहा कि आज जब नदियाँ बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण के संकट से जूझ रही हैं, ऐसे में युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। युवा पीढ़ी तकनीकी ज्ञान, सामाजिक मीडिया और नवाचार के माध्यम से जल स्रोतों के संरक्षण के लिए एक प्रभावी बदलाव ला सकती है। नदियों को बचाना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग का दायित्व है, विशेषकर युवाओं का। नमामि गंगे के नोडल अधिकारी डॉ0 रितुराज पंत ने बताया कि यह शिविर हल्द्वानी नगर के भोटिया पड़ाव क्षेत्र में अवस्थित उस प्राचीन शिव मंदिर परिसर में आयोजित किया गया, जिसकी स्थापना वर्ष 1954 में हुई थी। ऐसे स्थानों पर संस्कार शाला का आयोजन बच्चों को भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों से सीधे जोड़ने का प्रभावी माध्यम है।
प्राचार्य प्रो0 आभा शर्मा ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की संस्कारों की पाठशाला आने वाली पीढ़ी में नैतिकता, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक चेतना के बीज बोने का कार्य करती है। उन्होंने मंदिर समिति के सभी गणमान्य लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मंदिर समिति के पदाधिकारी स्थानीय शिक्षकगण, गणमान्य नागरिक, अभिभावक एवं बच्चे उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन मीनाक्षी पंत ने किया।