हिंद प्रशांत क्षेत्र पर है बाइडन प्रशासन की नजर

अंतरराष्ट्रीय

वाशिंगटन।
विशेषज्ञों का मानना है कि जो बाइडन प्रशासन हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर खास ध्यान दे रहा है और व्हाइट हाउस में अगले हफ्ते होने जा रहा पहला प्रत्यक्ष क्वाड शिखर सम्मेलन, 2017 में शुरू हुई प्रक्रिया की स्वाभाविक परिणति है।
क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका का समूह है। बाइडन इस समूह के पहले शिखर सम्मेलन की मेजबानी 24 सितंबर को करेंगे। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल होंगे।
यह सम्मेलन, चीन के बढ़ते आर्थिक एवं सैन्य दबाव के मद्देनजर वाशिंगटन का हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर जो ध्यान है, उसका संकेत देता है। इसमें कोविड के अलावा उभरती प्रौद्योगिकियों और साइबरस्पेस पर साझेदारी के बारे में भी इस दौरान बात होगी। यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक ऐंड पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी ने एजेंसी से कहा, क्वाड शिखर सम्मेलन हमारे समय की दो सबसे बड़ी चुनौतियों – महामारी और जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करते हुए और टीका कूटनीति को बढ़ाते हुए व्यापार की आर्थिक क्षमता का लाभ उठाएगा।ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन अमेरिका नाम के थिंक टैंक के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने कहा कि क्वाड नेताओं का यह शिखर सम्मेलन 2017 से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समान सोच वाली सक्षम लोकतांत्रिक शक्तियों के बीच साझेदारी धीरे-धीरे बढ़ती गई।
सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज में यूएस इंडिया पॉलिसी स्टडीज में वाधवानी पीठ के रिक रोससॉ ने कहा, हिंद महासागर में बंदगाहों समेत सामरिक संरचनाओं में चीन का बढ़ता निवेश सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है और यह भारत के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *