गौ-महत्ता, योग एवं भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित जागरूकता शिविर: सात्विक आहार व गौ-उत्पादों से स्वरोजगार की दी गई प्रेरणा

उत्तराखंड लाइव नैनीताल

आज दिनांक 15 जून 2025 को महिला महाविद्यालय, हल्द्वानी की नमामि गंगे इकाई द्वारा राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तराखंड के निर्देशन में भारतीय ज्ञान परंपरा, योगाभ्यास, गौ-महत्ता एवं स्वरोजगार विषय पर आधारित एक दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन श्री सीता राम गोपाल गौधाम समिति प्रांगण, हल्द्वानी में किया गया। इस शिविर का उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक धरोहर, योग, सात्विक आहार, गौसंवर्द्धन तथा स्वदेशी उत्पादों के प्रति जनजागरूकता फैलाना रहा।कार्यक्रम की शुरुआत योगाचार्य ज्योति चुफाल द्वारा प्रातःकालीन योग सत्र से हुई। उन्होंने प्री-योगा और पोस्ट-योगा सेवन योग्य सात्विक आहार की विस्तृत जानकारी दी। फल, छाछ, हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज जैसे आहार को स्वास्थ्यवर्धक बताते हुए उन्होंने कहा कि ये शरीर को शुद्ध व ऊर्जावान बनाते हैं। उन्होंने बताया कि प्री-योगा और पोस्ट-योगा मील को स्वरोजगार का माध्यम भी बनाया जा सकता है। हल्द्वानी के विभिन्न योग केंद्रों में सात्विक आहार उपलब्ध कराकर, स्थानीय महिलाओं और युवाओं को रोजगार के अवसर दिए जा सकते हैं। इस्कॉन की सदस्य बबीता चिलवाल ने शिविरार्थियों को गोबर और गौमूत्र से निर्मित उत्पादों की जानकारी दी जो पर्यावरण के अनुकूल व उपयोगी हैं। बबीता ने कहा कि गोबर से बने दीये, मूर्तियाँ, धूपबत्तियाँ, गौमूत्र से बने कीटनाशक, फर्श क्लीनर, आयुर्वेदिक औषधियाँ, गौकाष्ठ — लकड़ी का विकल्प है। उन्होंने कहा कि ये उत्पाद स्वरोजगार के सशक्त साधन बन सकते हैं, विशेषतः ग्रामीण व महिला उद्यमिता के लिए।
वेदाचार्य के.बी. पाठक ने वेदों एवं शास्त्रों में वर्णित गौ माता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा गाय केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि भारतीय जीवनदर्शन का केंद्र है। ‘गावो विश्वस्य मातरः’ (ऋग्वेद) मंत्र आज भी उतना ही प्रासंगिक है। गौ आधारित जीवनशैली केवल धर्म नहीं, आत्मनिर्भर भारत का आधार भी बन सकती है। उन्होंने पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोबर) के विविध उपयोगों को भी व्यावहारिक संदर्भों के साथ समझाया। डॉ. सर्वेश भारती ने गोमाता के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की नदी सभ्यताओं से लेकर कृषि परंपराओं तक में गाय की केंद्रीय भूमिका रही है। महिला महाविद्यालय, हल्द्वानी की नमामि गंगे इकाई के नोडल अधिकारी डॉ. रितुराज पंत ने बताया कि यह शिविर राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा, योग, गौ संरक्षण, सात्विक जीवनशैली और स्वरोजगार विषयों पर जनजागरूकता हेतु आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रोत्साहित करने वाला है। कार्यक्रम का संचालन कर रही मीनाक्षी पंत ने गोधाम समिति के समस्त सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कंचन पाठक, लता दुमका, यशोधर नाथ सहित छात्र-छात्राएं, नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और योग साधक उपस्थित रहे।

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