तो मानव मस्तिष्क से भी तेज होगा एआई, जाने कौन बन रहा है इसे

अंतरराष्ट्रीय

वॉशिंगटन। आने वाले दशक में मानव मस्तिष्क से भी तेज होगा एआई बनाने की तैयारी चल रही है। एक ओर गूगल और अन्य टेक कंपनियां जहां अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत से सर्च को नया रूप देने में जुटीं हैं, वहीं दूसरी ओर मेटा के मार्क जुकरबर्ग ने एक ऐसा कदम उठाया है जो इस होड़ को नई दिशा दे सकता है। जुकरबर्ग अब आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) बनाने की तैयारी में हैं। यह एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होगा, जो मनुष्यों से बेहतर सोच और निर्णय क्षमता रखता होगा। हैरानी की बात ये है कि एजीआई विकसित करने के लिए जुकरबर्ग खुद विशेषज्ञों को भर्ती कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जुकरबर्ग एक नई ‘सुपर इंटेलिजेंस’ टीम का गठन कर रहे हैं। वह न केवल टीम के सदस्यों को अपने लेक ताहो और पालो आल्टो स्थित घरों में आमंत्रित कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने ऑफिस की संरचना भी बदल दी है ताकि 50 विशेषज्ञों वाली नई उनके अधिक निकट बैठ सके। इस परियोजना से जुड़े सबसे चर्चित नामों में स्केल एआई के संस्थापक एलेक्जेंडर वांग भी शामिल हैं, जो मेटा की नई शोध प्रयोगशाला में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। यह प्रयोगशाला ऐसा एआई तैयार करने पर केंद्रित होगी जो मानव मस्तिष्क से भी अधिक बुद्धिमान हो सके। कंपनी शीर्ष एआई प्रतिभाओं को लुभाने के लिए नौ फिगर तक के पैकेज की पेशकश कर रही है। कुछ पेशकशें स्वीकार भी की जा चुकी हैं। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस स्तर की एआई को विकसित करने में अभी कई दशक लग सकते हैं। लेकिन जुकरबर्ग का मानना है कि इस दिशा में प्रगति को तेज किया जा सकता है और उन्होंने इसे मेटा की अगली बड़ी प्राथमिकता बना दिया है। मेटा की एआई योजनाएं लामा मॉडल पर आधारित हैं, जो चैटबोट्स और अन्य एआई सेवाओं को सहायता प्रदान करती हैं। हालांकि, लामा-4 का हाल ही में लॉन्च मेटा के लिए निराशाजनक साबित हुआ जबकि जुकरबर्ग ने इसके बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई थी। अब जुकरबर्ग की टीम एआई मॉडल को सुधारने और नई तकनीकों को विकसित करने में जुटी है।

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