अपनों से नहीं मिल रही आत्मा को मुक्ति

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हल्द्वानी। अर्पणा पांडेय
कोरोना वायरस अपना असर सिर्फ लोगों के शरीर पर ही नहीं दिखा रहा है, बल्कि इससे मान्यताएं भी टूट रही है और संस्कार भी छूट रहे हैं। कहीं पिता की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए बेटे नहीं पहुंच रहे हैँ तो कहीं पत्नी को जलप्रवाह किया जा रहा है कि उसे मुखाग्नि देने के लिए न पति पहुंच पाया न बेटे। यूपी, बिहार, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। लॉकडाउन के कारण बेटा गुजरात में फंसा है तो पति महाराष्ट्र में। जो जहां है वह वहीं बैठे बैठे आंसू बहा रहा है। बात यही खत्म नहीं होती, जो अंतिम संस्कार कर भी दे रहा है तो तर्पण संस्कार के लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। न पंडित पहुंच पा रहे हैं न ही पुरोहित।

अप्रैल के पहले सप्ताह में लॉक डाउन के कारण उत्तरप्रदेश के बलिया में एक विवाहिता की मौत के बाद उसे जलप्रवाह करा दिया गया। उसका पति गुजरात में फंसा है। पत्नी की मौत हो गई। गांव में परिवार के नाम पर एक आठ साल की बेटी थी। समय पर मायके वाले भी नहीं पहुंच सके। पति, ग्रामप्रधान और मायके वालों से विचार विमर्श करने के बाद ग्रामीणों ने यह कदम उठाया। पति का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब गांव पहुंचेगा तो पत्नी का तर्पण संस्कार करेगा। कुछ इसी तरह का मामला यूपी के ही बस्ती जिले में सामने आया। तीन तीन बेटे के रहते पड़ोसी ने बुजुर्ग को मुखाग्नि दी। बुजुर्ग किसान के तीन बेटे हैं, लेकिन लॉकडाउन में तीनों दिल्ली में फंसे हैं। हार्टअटैक से किसान की मौत हो गई। सूचना मिलने के बाद बेटों ने आने की काफी कोशिश की लेकिन पुलिस की सख्ती और साधन नहीं मिलने के कारण वह नहीं पहुंच सके। बाद में विचार विमर्श के बाद पड़ोसी ने उनको मुखाग्नि दी। अब अंतिम तर्पण संस्कार बेटे के आने के बाद होगा। कुछ इसी तरह का मामला चंदौली में भी सामने आया। 80 साल के एक बुजुर्ग की मौत हो गई। बुजुर्ग के दोनों बेटे राजस्थान और हैदराबाद में फंसे हैँ। सूचना पर भी वह नहीं आ सके। बाद में बुजुर्ग के पट्टीदार ने उन्हें मुखाग्नि दी। ये तो वह मामले हैं, जिनकी जानकारी लोगों को हो जा रही है। लेकिन इस तरह के कई ऐसे मामले हैं जिनमे शव का अंतिम संस्कार भी नहीं हो पा रहा है। बागेश्वर में परिजनों के नहीं आने पर एक महिला को जल में प्रवाहित कर दिया गया। वहीं आजमगढ़ में परिजनों के नहीं पहुंचने और कंधा नहीं देने के कारण एक युवक को खेत में ही प्रशासन ने अंतिम संस्कार कर दिया गया। कानपुर का यह युवक लॉकडाउन से पहले ससुराल आया था और यही उसकी मौत हो गई।

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