उत्तराखंड जल्द बनेगा ड्रोन स्पोर्ट्स हब : सिंधिया

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देहरादून। अनीता रावत
जिस तरह से संचार क्षेत्र में क्रांति आई है, उसी तरह ड्रोन क्षेत्र में भी आएगी। ड्रोन आज कई क्षेत्रों में बड़ा मददगार साबित हो रहा है। इसमें रोजगार की भी संभावनाएं हैं। युवा ड्रोन पायलट बनकर 30 हजार रुपये महीने तक कमा सकते हैं। उत्तराखंड को ड्रोन स्पोर्ट्स का केंद्र बनाने के लिए केंद्र सरकार से हरसंभव सहयोग करने को तैयार है। उत्तराखंड जल्द ही ड्रोन स्पोर्ट्स का हब बन जाएगा। यह बातें शुक्रवार को देहरादून पहुंचे केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहीं।


शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह मालदेवता में ड्रोन फेस्टिवल ऑफ इंडिया के ड्रोन शो में पहुंचे। यहां अलग-अलग तरह के ड्रोन देखने के बाद सिंधिया ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने नवीन भारत की जो परिकल्पना है, वह साकार हो रही है। एसडीआरएफ के जवान हर चुनौती के लिए तैयार रहते हैं। आज इनके हाथों में ड्रोन के रूप में नया हथियार आ गया है, जो काफी मददगार साबित हो रहा है। सिंधिया ने कहा कि पहले ड्रोन की अनुमति लेने के लिए 72 तरह की फीस जमा करनी पड़ती थी, अब सिर्फ चार तरह की फीस जमा होती है। बहुत कम फॉर्म भरने पड़ते हैं। कुछ ड्रोन के लिए अनुमति लेने की जरूरत तक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि इस क्षेत्र में रोजगार की भी अपार संभावनाएं हैं। 25 से 30 दिन में युवा ड्रोन पायलट बनकर 30 हजार रुपये महीना कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य समेत कई क्षेत्रों में ड्रोन उपयोगी साबित हो रहा है। सरकार ड्रोन क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इसके लिए ऐसा वातावरण तैयार किया जा रहा है, जहां आसानी से ड्रोन की अनुमति मिल सके। इस दौरान सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने पैराग्लाइडिंग और पैरामोटर्स का प्रदर्शन किया। इस मौके पर फाउंडेशन के निदेशक स्मित शाह भी मौजूद थे। केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने इस कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने कहा कि ड्रोन इंडस्ट्रीज में युवाओं के लिए कॅरिअर बनाने की व्यापक संभावनाएं हैं। युवा अवसर को सफलता में बदल सकते हैं और उत्तराखंड ड्रोन का हब बन सकता है। इस दौरान अपर सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तराखंड में सबसे पहले एनटीआरओ के सहयोग से ड्रोन एप्लीकेशन एंड रिचर्स सेंटर की स्थापना की गई। स्वास्थ्य, कृषि, आपदा, जमीन और भवनों की मैपिंग में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

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