संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान के लिए समावेशी प्रक्रिया का आह्वान

अंतरराष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र।
भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि काबुल में सत्ता में बदलाव न तो बातचीत के जरिए हुआ और न ही समावेशी है। भारत ने यह भी रेखांकित किया कि उसने लगातार व्यापक आधार वाली, समावेशी प्रक्रिया का आह्वान किया है, जिसमें अफगानिस्तान के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो। भारत ने अफ्रीका में आतंकवाद के बढ़ते प्रसार पर भी गहन चिंता जाहिर की।
तालिबान ने अफगानिस्तान के जटिल जातीय विन्यास का प्रतिनिधित्व करते हुए एक समावेशी सरकार का वादा किया था। हालांकि, पिछले महीने विद्रोही समूह द्वारा घोषित अंतरिम मंत्रिमंडल में स्थापित तालिबान नेताओं का वर्चस्व था, जिन्होंने 2001 से अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। अंतरिम मंत्रिमंडल में किसी महिला को नहीं लिया गया है।
अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के अंतिम चरण के दौरान तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण कर लिया था। यूएनएससी की उच्चस्तरीय खुली बहस को संबोधित करते हुए भारत के विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने सहित अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 2593 में स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं। इसे अगस्त में 15-राष्ट्रों वाली परिषद में भारत की अध्यक्षता के दौरान अपनाया गया था। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इस संदर्भ में व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान व पालन किया जाए। मुरलीधरन ने कहा कि जो देश संघर्ष का सामना कर रहे हैं या उनसे उभर रहे हैं, उन्हें शांति निर्माण और शांति बनाए रखने के रास्ते में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये संघर्ष के कारकों से संबंधित हैं और मुख्य रूप से जातीयता, जाति और धर्म से जुड़े हैं जो प्रभावी रूप से समाज में पहचान को चिन्हित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, समाज राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों का भी सामना करते हैं, जो एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं कि कैसे देश सफलतापूर्वक उभरे और राष्ट्र निर्माण की इन मूलभूत चुनौतियों का समाधान करने में आगे बढ़े। भारत ने अफ्रीका में आतंकवाद के बढ़ते प्रसार पर भी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन आतंकवादी ताकतों और समूहों को सदस्य देशों से प्रोत्साहन मिल रहा है, जो आतंकवादी गतिविधियों को वैध बनाकर समुदायों को विभाजित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास दिखाता है कि यह चुनौतियां सिर्फ अफ्रीका या विकासशील दुनिया तक सीमित नहीं हैं। मुरलीधरन ने कहा कि अफ्रीका में आतंकवाद का बढ़ता प्रसार गहन चिंता का विषय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *