रुद्रप्रयाग के नारायणकोटि मंदिर में बढ़ेंगी पर्यटन सुविधाएं

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हल्द्वानी। अनीता रावत

रुद्रप्रयाग के नारायणकोटि मंदिर को पर्यटन मंत्रालय की ‘एडॉप्ट हेरिटेज’ योजना के अन्तर्गत पर्यटन के रूप में विकसित करने को लेकर शुक्रवार को समझौते हो गया। यह समझौता केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सोशल रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन (एसएलआरई) के बीच हुआ। इसके तहत स्मारक मित्र के रूप में चयनित की गई संस्था नारायणकोटि मंदिर को में विभिन्न पर्यटन सुविधाओं जैसे मंदिर में मार्ग निर्माण, पथ प्रकाश व्यवस्था, कूड़ा निस्तारण, पेयजल, पार्किंग की व्यवस्था, बेंच, प्रवेश, चहारदीवारी, टॉयलेट, साइनऐज आदि की व्यवस्था करेगी। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के अपर निदेशक पूनम चंद ने बताया कि प्राचीन धरोहर स्थलों में पर्यटन सुविधाएं विकसित होने से इनके आस-पास के क्षेत्रों में नए पर्यटन स्वरोजगार सृजित होंगे।

ऐसा होने पर स्थानीय युवा टूरिस्ट गाइड, होमस्टे, टैक्सी ट्रैवल, फास्ट फूड सेंटर आदि क्षेत्रों में स्वरोजगार प्राप्त कर सकेंगे। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और उत्तराखंड राज्य हैरिटेज टूरिज्म के लिए एक आदर्श गंतव्य बनेगा। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर गुप्तकाशी से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर नारायणकोटि में प्राचीन मंदिर का समूह है, जहां सभी नौ ग्रह मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, सूर्य, चंद्रमा, राहू और केतू के मंदिर मौजूद हैं।
समझौते पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि परियोजना के तहत प्रदेश के प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों, मन्दिरों आदि के खोये हुए सौन्दर्य व गौरव को पुनः प्राप्त किया जा सकेगा। इन वीरान पड़े महत्वपूर्ण स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं के विकसित होने से राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के रोजगार में वृद्धि होगी। राज्य के सांस्कृतिक पर्यटन को विकसित करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगी।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि केंद्र सरकार की यह एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत राज्य के सांस्कृतिक महत्व के स्मारकों तथा विरासत स्थलों का उचित रख-रखाव करने के साथ उनके आस-पास पर्यटन सुविधाओं व अवसंरचनाओं का विकास किया जाएगा। इससे प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिललेगा और पर्यटकों को आसानी से मूलभूत सुविधाएं मिल सकेंगी। साथ ही ग्रामीणों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।

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