अल्मोड़ा के ऐतिहासिक बग्वाल युद्ध में 27 मिनट तक चले पत्थर युद्ध

उत्तराखंड लाइव नैनीताल राष्ट्रीय

हल्द्वानी। अनीता रावत
हवालबाग और ताकुला ब्लॉक के अंतिम सीमा पर स्थित विजयपुर पाटिया गांव में दिवाली पर चार गांवों की एकता का प्रतीक बग्वाल युद्ध इस बार 27 मिनट तक चला। जिसमें चार गांवों से 80 से अधिक बग्वालीरों ने शामिल होकर जमकर पत्थर बरसाये। जिसमें पाटिया, भटगांव के बग्वालीवीर भेटुली नदी के एक तरफ तो कसून और कोटयूडा के बग्वालीवीर दूसरी तरफ से बग्वाल में शामिल हुए। बग्वाल युद्ध में करीब दस बग्वाली वीरों को हल्की चोट आ गई। जिसमें कसून और कोट्यूड़ा के बग्वालीवीर से भेटुली नदी का पानी सबसे पहले पीकर विजय हासिल की। विजयपुर पाटिया गांव में कई वर्षों से चार गांवों में एकता के संदेश को लेकर बग्वाली खेली जाती है। पत्थरों के इस बग्वाल में दो-दो गांव के बग्वालीवीर एक दल में शामिल होकर दूसरे दल पर जमकर पत्थर बरसाते हैं। जो भी दल का सदस्य सबसे पहले नदी में उतर का पानी पी लेता है। उस दल को विजय घोषित किया जाता है। महालक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन यानी गोवर्धन पूजा के दिन यहां बग्वाल खेली जाती है। एक दल के बग्वालीवीर दूसरे दल के बग्वालीवीरों पर पत्थर फेंककर उन्हें नदी में उतरने से रोकने की पूरी कोशिश करते हैं। पत्थरों से बचकर बग्वालीवीरों को विजय होने के लिये नदी में जाकर पानी ग्रहण करना पड़ता है। इस बार 27 मिनट तक दोनों ओर से बग्वालीवीरों को पानी पीने से रोकने के लिये जमकर पत्थर बरसते रहे। लेकिन कसून और कोटयूडा के बग्वालीवीर पत्थरों की परवाह किये बगैर नदी तक पहुंच गये। उन्होंने सबसे पहले पानी ग्रहण कर लिया। विजयपुर पाटिया गांव में रविवार को बग्वाल युद्ध ढोल नगाड़ों धुन के बीच हुआ। ढोल नगाड़ों के बीच बग्वालीवीरों में भी जोश भरते रहा। युद्ध स्थल पर मिट्टी लगाकर होता है घायलों को उपचार विजयपुर पाटिया में बग्वाल के दौरान घायल होने वाले बग्वालीवीरों का उपचार भी स्थानीय स्तर पर किया जाता है।

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