नई दिल्ली, देव कुमार। जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर देश भर में जनगणना एक मार्च 2027 से होगी। वहीं बर्फबारी से प्रभावित जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में एक अक्टूबर 2026 से होगी। केंद्र सरकार ने सोमवार को वर्ष 2027 में जातिगत गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना कराने के लिए अधिसूचना जारी की। पिछली बार ऐसी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। अधिसूचना में कहा गया है कि देश के ज्यादातर राज्यों में जनगणना के लिए 1 मार्च 2027 की आधी रात की तारीख को आधार माना जाएगा, जबकि बर्फबारी वाले राज्यों जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में यह तारीख 1 अक्टूबर 2026 तय की गई है। संदर्भ तिथि की आधी रात बारह बजे तक रिकॉर्ड डेटा को ही आखिरी डेटा माना जाएगा। देशभर से जनसंख्या संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराने का यह कार्य लगभग 34 लाख गणनाकर्ताओं और पर्यवेक्षकों तथा डिजिटल उपकरणों से लैस लगभग 1.3 लाख जनगणना कर्मियों द्वारा किया जाएगा।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि जनगणना के साथ ही जातिगत गणना भी की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को केंद्रीय गृह सचिव, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की थी। जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण में हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (एचएलओ)-प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का विवरण एकत्र किया जाएगा। दूसरे चरण में -जनसंख्या गणना (पीई) जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सांस्कृतिक स्थिति और प्रत्येक घर में प्रत्येक व्यक्ति का अन्य विवरण एकत्र किया जाएगा। एनपीआर अपडेट करने को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि जनगणना के साथ ही एनपीआर का डेटा भी जुटाया जाएगा। देश में आजादी के बाद यह पहली जातीय जनगणना होगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि जातीय जनगणना को मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसे हर 10 साल में किया जाता है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। वर्ष 2011 तक जनगणना फॉर्म में कुल 29 कॉलम होते थे। इनमें नाम, पता, व्यवसाय, शिक्षा, रोजगार और माइग्रेशन जैसे सवालों के साथ केवल एससी, एसटी श्रेणी से ताल्लुक रखने को रिकॉर्ड किया जाता था। अब जाति जनगणना के लिए इसमें अलग से कॉलम जोड़े जाएंगे। जनगणना की पूरी प्रक्रिया एक मार्च 2027 तक पूरी कर ली जाएगी। जनगणना का प्राइमरी डेटा मार्च 2027 में ही जारी हो जाएगा। हालांकि विस्तृत डेटा जारी होने में साल के आखिर तक का इंतजार करना पड़ेगा। जनगणना की पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीनों में पूरी होगी। एक मार्च 2027 की आधी रात तक देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा, वही रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इसी को आधार माना जाएगा। जनगणना के बाद परिसीमन शुरू होगा।
