‘टीबी की जांच उच्चकोटि की लैब्रोटरी से ही करानी चाहिए’

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देहरादून । अनीता रावत

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित जोनल टास्क फोर्स की टीबी पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुक्रवार को संपन्न हो गई, कार्यशाला के दूसरे दिन देश के विभिन्न हिस्सों से आए क्षयरोग विशेषज्ञों ने भारत को तपेदिक से मुक्त बनाने पर चिंतन मंथन किया। उन्होंने इस जानलेवा बीमारी के निरमूल के लिए गुणवत्तापरक जांच, नियमित उपचार के साथ ही पूर्ण कोर्स व जनजागरूकता पर जोर दिया। एम्स के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग व स्टेट टास्क फोर्स (आरएनटीसीपी) की ओर से आयोजित कार्यशाला के समापन अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि देश से टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे, तभी लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया देश में टीबी जैसी जानलेवा बीमारी का उन्मूलन इसके संक्रमण की रोकथाम से ही संभव है। इसके लिए चिकित्सकों को टीबी की आधुनिक गाइडलाइन के बारे में जानकारी व जागरूक होना होगाऔर उसी के तहत मरीजों का उपचार करना होगा। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि संस्थान में क्षयरोग की रोकथाम के लिए इस तरह की कार्यशालाओं का नियमित तौर पर आयोजन किया जाएगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टोबर क्लोसिस नई दिल्ली के डा.रोहित सरीन ने एमआरडी टीबी इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2019 में निर्धारित जानकारियां दी। डा.बविंदर सिंह ने बताया कि यदि तपेदिक रोग की जांच गुणवत्ता पूर्वक नहीं की जाती है तो उससे बहुत सारे टीबी के मरीज लाइलाज ही रह जाते हैं और उनका संक्रमण स्वस्थ लोगों तक भी फैलता है। लिहाजा उन्होंने क्षयरोग के उपचार के लिए सीबीनाट तकनीक को उच्चतम गुणवत्ता वाला टेस्ट बताया। उन्होंने बताया कि महज आधा घंटे में इस टेस्ट का परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। टीबी की जांच उच्चकोटि की लैब्रोटरी से ही करानी चाहिए। डा. रघुनाथ राव ने निक्क्षय एप के बारे में जानकारी दी, इस एप के जरिए किसी भी क्षेत्र में सरकारी व निजी अस्पताल में टीबी के मरीजों की सूचना सरकार को दी जा सकती है। जो कि अनिवार्य है, जिससे ऐसे रोगियों की उचित देखभाल व सही संख्या का पता लगाया जा सके। उन्होंने बताया कि टीबी के मरीज द्वारा स्वयं जानकारी देने अथवा मरीज की जांच में टीबी रोग पाए जाने पर इसका नोटिफिकेशन कराने वाले चिकित्सक को सरकार द्वारा पांच सौ रुपए इनसेंटिव देने का प्रावधान है, साथ ही मरीज द्वारा क्षयरोग का कोर्स पूर्ण करने पर सरकार द्वारा उसे पांच सौ रुपए दिए जाते हैं। सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष व डीन डा.सुरेखा किशोर ने बताया कि दो दिवसीय कार्यशाला के आयोजन में कम्यूनिटी एंड फेमिली मेडिसिन डिपार्टमेंट के डा.प्रदीप अग्रवाल, डा.महेंद्र सिंह, डा.योगेश, डा.भावना, डा.कंचन, डा.नेहा व पीजी स्टूडेंट्स ने सहयोग किया। कार्यशाला में एसटीओ दिल्ली डा.अश्विनी खन्ना, डा.बरिंदर सिंह, डा.अल्मास शमीम ने भी व्याख्यान दिए। मौके पर डीएमएस डा.संतोष कुमार,डा.अशोक भारद्वाज,डा.एसी फुकान,डा. राजेंद्र प्रसाद,डा.सूर्यकांत आदि मौजूद थे।

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