अफगानिस्तान का नया हुकुमरान बनेगा तालिबान

अंतरराष्ट्रीय

काबुल।
अफगानिस्तान का नया हुकुमरान अब तालिबान बनेगा। रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भी तालिबानी लड़के प्रवेश कर गए। इसके साथ ही अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा लगभग तय हो गया है। चर्चा है कि सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन में कई घंटे तक बातचीत का दौर भी चला। वहीं सरकारी कर्मचारी दफ्तरों को छोड़कर फरार हो गए।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तालिबान के लड़ाकों ने काबुल के बाहरी इलाकों में प्रवेश कर लिया। काबुल में तालिबान लड़ाकों के प्रवेश की जानकारी होते ही डरे सरकारी कर्मचारी दफ्तरों को छोड़कर भाग निकले। अधिकारियों ने इसी पुष्टि करते हुए बताया कि तालिबान के लड़ाके कलाकान, काराबाग और पघमान जिलों में मौजूद हैं। चरमपंथियों ने इससे पहले जलालाबाद पर कब्जा किया था। काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा इकलौता प्रमुख शहर था जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था। यह पाकिस्तान से लगती एक प्रमुख सीमा के निकट स्थित है। अब अफगानिस्तान की केंद्रीय सरकार के अधिकार में देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से काबुल के अलावा छह अन्य प्रांतीय राजधानी ही बची हैं। काबुल में गोलीबारी की आ रही आवाज के बीच तालिबान ने काबुल को जबरदस्ती अपने कब्जे में नहीं लेने का संकल्प लिया। वहीं तालिबान ने कहा कि किसी की भी जान, संपत्ति, सम्मान को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा और काबुल के नागरिकों की जिंदगी पर खतरा नहीं होगा। जलालाबाद पर कब्जा करने के कुछ घंटे बाद रविवार को अमेरिका के बोइंग सीएच-47 हेलीकॉप्टर यहां अमेरिकी दूतावास पर उतरे। अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई। हालांकि अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है। दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया, जिसकी वजह अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाना है। अमेरिकी दूतावास के निकट सिकोरस्की यूएस-60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी उतरे। इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल आमतौर पर सशस्त्र सैनिकों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कतर के अल-जजीरा अंग्रेजी उपग्रह समाचार चैनल को बताया कि चरमपंथी काबुल शहर के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने लड़ाकों और सरकार के बीच किसी भी संभावित वार्ता की जानकारी देने से इनकार कर दिया।

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