आतंकवाद को बर्दाश्त न करना वक्त की मांग

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नई दिल्ली | नीलू सिंह
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि मौजूदा खतरे से कोई देश सुरक्षित नहीं है। इसलिए आतंकवाद और उसका इस्तेमाल करने वालों को बल्किुल बर्दाश्त नहीं करना समय की मांग है।
रायसीना डायलॉग में सुषमा ने कहा, बहुपक्षवाद में अटूट आस्था के जरिये भारत न सर्फि अपने बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए न्याय, अवसरों और समृद्धि की बात करता है। उन्होंने कहा, हमारे लिए परिवर्तन केवल घरेलू एजेंडा नहीं बल्कि वैश्विक नजरिया है। देश मंत्री ने दुनिया के समक्ष पेश होने वाली अहम चुनौतियों का जक्रि करते हुए आतंकवाद को सबसे पहले बताया। सुषमा ने कहा, एक समय था जब भारत ने आतंकवाद पर बात की। कई वैश्विक मंचों पर इसे कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे के तौर पर देखा गया। आज कोई भी बड़ा या छोटा देश आतंकवाद के खतरों खास कर देशों की ओर से सक्रिय तौर पर समर्थित और प्रायोजित आतंकवाद से सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने कहा, मौजूदा डिजिटल युग में कट्टरपंथी विचारों में बढ़ोतरी के कारण आतंकवाद से मिल रही चुनौती और बढ़ गई है। भारत ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र में अंतररष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन आज भी यह सर्फि मसौदा बना हुआ है क्योंकि सभी देश आतंकवाद की आम परिभाषा पर सहमत नहीं हो पाए हैं।
सुषमा ने कहा, यह सुनश्चिति किया जाना समय की मांग है कि आतंकवाद और सुविधा के अनुसार उसका इस्तेमाल करने वालों को कतई बर्दाशत नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सामूहिक विनाश के लिए हथियारों का प्रसार और जलवायु परिवर्तन भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष मौजूद मुख्य चुनौतियां हैं।