जहां दीवारें गाती हैं मानस की चौपाइयां

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हरिद्वार। अर्पणा पांडेय

जब मन राम भक्ति में लीन होने को करे और सामने मानस की चौपाइयां हो तो मन खुद ब खुद गुनगुनाने लगता है और साथ मे गुनगुनाने लगती है वो दीवारें, जिसपर रामचरित मानस की चौपाइयां अंकित है। कुछ ऐसी ही अनुभूति होती है जब हम हरिद्वार में तुलसी मानस मंदिर के दर्शन को जाते हैं। लगता है वहां की दीवारें भी मानस की चौपाइयां गा रही हो।

तुलसी मानस मंदिर न सिर्फ अपनी स्थापत्य कला के लिए बल्कि शिल्प और वस्तु कला के साथ ही ग्रेनाइट पत्थरों पर अंकित रामचरित मानस की चौपाइयों के कारण न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश मे प्रसिद्ध है। मानस परमहँस की उपाधि प्राप्त जून आखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पूरी जी महाराज द्वारा स्थापित यह मंदिर अपनी मानस चौपाइयों से श्रद्धालुओं, भक्तो और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

कहाँ स्थित है यह मंदिर

उत्तराखंड के हरिद्वार में संभवत: वर्ष 1991 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी। कुम्भ नगरी हरिद्वार में सप्त सरोवर मार्ग पर स्थित मन्दिरों की श्रृंखला के बीच स्तिथ है तुलसी मानस मंदिर। जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पुरी जी महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर में श्रीरामचरितमानस का प्रतिनिधि स्वरूप विराजमान है। मन्दिर में प्रधान देवता श्री राम अपने परिकरों के साथ विराजमान हैं। मन्दिर में पंचदेवों की स्थापना भी की गई है। श्री राम दरबार सहित श्री गणेश , श्री राधा कृष्ण, माँ दुर्गा, श्री हनुमान एवं भोलेनाथ श्री नर्मदेश्वर रूप में विराजमान हैं।

स्वामी कमलेश्वर पूरी जी बताते हैं कि तुलसी मानस मन्दिर का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर सिंह ने किया था। श्री स्वामी अर्जुन पूरी महाराज स्वयं श्रीरामचरितमानस के अधिकारी विद्वान हैं। स्वामी जी को सनातन जगत के विद्वानों ने “मानस परमहँस” की उपाधी दी है। स्वामी जी ने सम्पूर्ण दीवारों पर श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों का लेखन ग्रेनाइट पत्थर पर करवाया है। हरिद्वार पूर्ण कुम्भ मेला 2010 के अवसर पर इस मंदिर का लोकार्पण हुआ था।

कैसे पहुंचे तुलसी मानस मंदिर

हरिद्वार में मंदिर होने के कारण यह स्थान दूसरे शहरों से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से करीब 6 किमी देहरादून हाईवे पर यह भूपतवाला के पास है। बस और रेलवे स्टेशन से यहां के लिए ऑटो 24 घंटे उपलब्ध है। वही जौलीग्रांट हवाईअड्डा से यह करीब 15 किमी दूर है। यहां से बस के साथ ही ऑटो भी उपलब्ध रहता है। हरकीपैडी से यह मंदिर 3 किमी की दूरी पर स्थित है।

धार्मिक महत्व

स्वामी कमलेश्वर पूरी कहते है कि भारत तीर्थ प्रधान देश है। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण विभिन्न तीर्थ स्थल हैं। उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थों में से एक हरिद्वार है। माँ गंगा के किनारे बसा यह शहर मन्दिरों एवं पूर्ण कुम्भ मेला एवं अर्ध कुम्भ मेला के लिए विश्व विख्यात है। श्रद्धालु अपनी मनोकामनापूर्ति के लिए हर साल लाखों की संख्या में यहां आते हैं। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में आवासीय परिसर भी है जहाँ साधक आश्रय ले सकते हैं। यहाँ सन्त सेवा, गौ सेवा, विद्यादान के अतिरिक्त अन्य सामाजिक सेवाओं का भी संचालन होता है।
अवसि देखिअ देखन जोगू। बरनत छबि जहं तहं सब लोगू।।

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