सोनभद्र में गैंगरेप के दोषियों को उम्रकैद की सजा

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सोनभद्र। जलाल हैदर खान
अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट पंकज श्रीवास्तव की अदालत ने दलित सगी बहनों के साथ हुए गैंगरेप के मामले में सुनवाई करते हुए वृहस्पतिवार को दोषसिद्ध पाकर दोषियों राकेश मौर्या एवं मृत्युंजय सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई। प्रत्येक पर एक लाख पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की समस्त धनराशि दोनों पीड़िताओं को बराबर मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव की निवासिनी दलित पीड़ित सगी बहनों ने 8 नवम्बर 2017 को राबर्ट्सगंज कोतवाली में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि 4 नवम्बर 2017 को अपनी रिश्तेदारी से ट्रेन पर बैठकर घर आ रही थी। जब ट्रेन राबर्ट्सगंज रेलवे स्टेशन पर खड़ी हुई तो पानी पीने के लिए दोनों नाबालिग बहनें स्टेशन पर उतर गई। इसी बीच शाम 7 बजे एक व्यक्ति आया और अपने को टीटी बताकर टिकट मांगने लगा तो टिकट नहीं था। इसके बाद एक दूसरा व्यक्ति भी आ गया और धमकी देने लगे कि अगर किसी से कुछ बताया या शोर किया तो जान से मार दिया जाएगा। डर की वजह से कुछ नहीं बोल पाई। दोनों व्यक्ति हम बहनों को बाइक पर बैठाकर राबर्ट्सगंज मंडी समिति में एक कमरे में ले गए और शटर बंद करके बारी-बारी जबरन दुष्कर्म किया। रात करीब तीन बजे तक वहीं पर रखे रहे। उसके बाद जान मारने की धमकी देकर भगा दिया। एक का नाम राकेश था। पुलिस ने एक नामजद समेत दो के खिलाफ दुष्कर्म समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचना के दौरान राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी राकेश मौर्या के अलावा राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र निवासी मृत्युंजय सिंह का नाम प्रकाश में आया। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषियों राकेश मौर्या व मृत्युंजय सिंह को उम्रकैद एवं प्रत्येक को एक लाख पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की समस्त धनराशि पीड़ित सगी बहनों को बराबर मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील दिनेश अग्रहरि व सत्यप्रकाश तिवारी ने बहस की।

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