So, cities like Mumbai will also face the brunt of heatwaves.

तो मुंबई जैसे शहर भी लू की पड़ेगी मार

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नई दिल्ली, देव कुमार। जलवायु परिवर्तन के कारण देशभर में अत्यधिक गर्मी और बारिश की घटनाओं में बड़ी वृद्धि होने वाली है। अगले पांच साल, यानी 2030 तक दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, सूरत, ठाणे, हैदराबाद, पटना और भुवनेश्वर जैसे शहरों में लू के दिन दोगुने हो जाएंगे। आईपीई ग्लोबल और एसरी इंडिया की ओर से किए गए अध्ययन में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय तक लू की स्थिति के कारण बारिश भी अधिक, अनियमित और लगातार होने की संभावना है।  अध्ययन में कहा गया है कि 2030 तक भारत में अत्यधिक बारिश की घटनाओं में 43% की वृद्धि होने का अंदेशा है। इस वजह से देश के अधिकांश हिस्से अधिक गर्म और आर्द्र हो जाएंगे।भारत के 10 में से 8 जिले 2030 तक अत्यधिक बारिश का कहर झेलेंगे। हाल के दशकों में ऐसी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में बड़ी वृद्धि हुई है। यह अध्ययन क्लाइमेट रिस्क ऑब्जर्वेटरी टूल पर आधारित है। इस टूल को आईपीई ग्लोबल और एसरी इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। इस टूल के तहत भविष्य के अनुमानों लगाने के लिए मॉडलिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है।   अध्ययन के अनुसार पिछले तीन दशक (1993 से 2024 के बीच) में भारत में मार्च-अप्रैल-मई और जून-जुलाई-अगस्त-सितंबर के महीनों में अत्यधिक गर्मी के दिनों में 15 गुना वृद्धि हुई है। पिछले दशक में अत्यधिक गर्मी के दिनों में 19 गुना वृद्धि देखी गई है। भारत में मानसून के मौसम में गैर-बरसात के दिनों को छोड़कर गर्मियों जैसी स्थिति देखने को मिल रही है।   अविनाश मोहंती, अध्ययन के प्रमुख लेखक का दावा है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, ओडिशा, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, मेघालय और मणिपुर में ज्यादा संकट है। उन्होंने कहा कि अध्ययन और इसके निष्कर्ष बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से 2030 तक स्थिति और भी गंभीर होने जा रही है। अल नीनो और ला नीना जैसी मौसम संबंधी घटनाएं मजबूत होंगी, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़, चक्रवात, तूफानी लहरें और अत्यधिक गर्मी जैसी स्थितियों में अचानक वृद्धि होगी। वहीं यूरोपीय संघ की जलवायु निगरानी सेवा के अनुसार मई 2025 रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे गर्म महीना रहा। भूमि और महासागरों का तापमान बढ़ने का क्रम जारी रहा। बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार धरती का औसत सतही तापमान मई में 15.79 डिग्री सेल्सियस था, यह मई के 1991-2020 के औसत से 0.53 डिग्री सेल्सियस अधिक था। दुनिया के महासागरों के लिए भी यही स्थिति रही। समुद्र की सतह का तापमान 20.79 डिग्री सेल्सियस रहा, जो मई 2024 के बाद दूसरे स्थान पर था। उत्तर-पूर्व उत्तरी अटलांटिक के बड़े क्षेत्रों में इस महीने सतही तापमान रिकॉर्ड स्तर पर रहा। भूमध्य सागर का अधिकांश भाग औसत से बहुत अधिक गर्म था। रिपोर्ट के अनुसार पिछले 22 महीनों में 21 महीने धरती का तापमान पूर्व औद्यौगिक समय (1850 से 1900)से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक था। जून 2024 से मई 2025 की 12 महीने की अवधि में, 1850-1900 बेंचमार्क की तुलना में धरती 1.57 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रही।

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