पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सैटेलाइट तस्वीरों से होगा सीमांकन

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नई दिल्ली। टीएलआई
पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमांकन अब उपग्रह की तस्वीरों के माध्यम से होगा। केंद्र सरकार ने अंतरराज्यीय सीमा विवादों को निपटाने के लिए नया फार्मूला निकाला है। केंद्र सरकार ने यह फैसला हाल में असम-मिजोरम सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद लिया है। इसमें पांच पुलिसकर्मियों सहित छह लोगों की जान चली गई थी।
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर 26 जुलाई को मिजोरम पुलिस ने असम के अधिकारियों पर गोलीबारी कर दी, जिसमें असम के पांच पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई। इसमें एक पुलिस अधीक्षक समेत 50 अन्य जख्मी हो गए। मिजोरम सरकार का दावा है कि इनर लाइन रिजर्व वन क्षेत्र में 509 वर्ग मील का हिस्सा उसका है, जिसे 1875 में बंगाल पूर्वी सीमांत नियमन 1873 के तहत अधिसूचित किया गया था। वहीं, असम का कहना है कि 1993 में भारतीय सर्वेक्षण द्वारा खींची गई सीमा और संवैधानिक मानचित्र उसे स्वीकार्य है। इस मामले को निबटाने के लिए सैटेलाइट तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह कार्य उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईएसएसी) को दिया गया है। एनईएसएसी अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) और पूर्वोत्तरी परिषद (एनईसी) की संयुक्त पहल है। एनईएसएसी उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करके पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है। शिलांग स्थित एनईएसएसी पहले से ही इस क्षेत्र में बाढ़ प्रबंधन के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सीमांकन में वैज्ञानिक तरीके अपनाने से, किसी भी विसंगति की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी और राज्य, सीमा विवाद के समाधान को बेहतर तरीके से स्वीकार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि उपग्रह से मानचित्रण हो जाने के बाद, पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं खींची जा सकती हैं और विवादों को स्थायी रूप से सुलझाया जा सकता है।

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