उत्तराखंड के रूपकुंड जैसे ग्रामीण पर्यटक को बढ़ावा देने की जरूरत

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नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
परंपराओं को आगोश में समेटने वाले ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की कवायद शुरू हो गई है। इसको लेकर सांसद की एक समिति ने सरकार से सिफारिश भी की है। समिति ने कहा कि ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन के अनछुए पहलु पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मानसून सत्र के दौरान देश में पर्यटन स्थलों की क्षमता, संपर्क एवं पहुंच विषय पर संसद में पेश परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यटन उद्योग के कुछ उभरते हुए आयामों में से एक ग्रामीण पर्यटन है, लेकिन इस पर बहुत कम जोर दिया जाता है। इसमें कहा गया है कि अब तक स्वदेश दर्शन योजना के ग्रामीण सर्किट के तहत केवल दो परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और केवल एक के लिए धनराशि जारी की गई।
संसदीय समिति ने सरकार से उत्तराखंड के ऋषिकेश में व्हाइट रिवर राफ्टिंग, गढ़वाल में रूपकुंड ट्रैक, ऋषिकेश में बंजी जंपिंग, टोंस घाटी में रिवर राफ्टिंग पर ध्यान देने पर जोर दिया है। साथ ही लद्दाख में चादर ट्रैक,अंडमान द्वीप, मालवन द्वीप एवं गोवा में स्कूबा डाइविंग, मनाली-लेह में बाइक/जीप ट्रिप, मेघालय में केविंग, गुलमर्ग और मनाली में स्कीइंग,जयपुर एवं सोलंग घाटी में हॉट एयर बैलूनिंग, हिमाचल प्रदेश में पारा ग्लाइडिंग, गोवा में दूधसागर ट्रैक, सतपुड़ा में रॉक क्लाइंबिंग, गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में वाइल्ड लाइफ सफारी, कुफरी में स्कीइंग, मुन्नार में साइकिल चालन जैसी साहसिक पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने पर भी ध्यान देने को कहा है। समिति का कहना है कि पर्यटन के इस नए क्षेत्रों में ग्रामीण समुदायों को स्थायी आजीविका प्रदान करने की क्षमता है। यही नहीं समिति ने कहा कि भारत में कला, शिल्प और संस्कृति की परंपरा समृद्ध होने के कारण ग्रामीण पर्यटन का समझदारी से स्थायी रूप से लाभ उठाया जाए, क्योंकि इसमें ग्रामीण समुदायों को स्थायी आजीविका प्रदान करने की क्षमता है। समिति ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय को ग्रामीण जनजीवन, कला, संस्कृति और विरासत को जोड़ते हुए योजनाओं एवं कार्यक्रमों का विकास करना चाहिए। समिति ने सरकार से कहा है कि देश में पर्यटन परिपथों में अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल किया जाना चाहिए। समिति ने देश में साहसिक पर्यटन की संभावना को रेखांकित करते हुए कहा है कि जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और हिमालयी क्षेत्र होने के बावजूद भारत में साहसिक पर्यटन प्रारंभिक चरण में है। समिति ने कहा कि मंत्रालय को साहसिक पर्यटन क्षमता का दोहन करने के लिए पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित नीति दस्तावेज तैयार करना चाहिए।

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