तीन तलाक, हलाला को खत्म करना होगा : राष्ट्रपति

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नई दिल्ली। नीलू सिंह
तीन तलाक, हलाला जैसे कुप्रथाओं को खत्म करना होगा। यही नहीं आतंकवाद को जड़ से उखाड़ना होगा। यह भाव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण में स्पष्ट दिखाई दी। संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कहा कि सरकार जाति धर्म से मुक्त होकर काम करेगी।

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण की शुरुआत में सभी सांसदों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सरकार जाति-धर्म से मुक्त होकर काम करेगी। साथ ही तीन तलाक, हलाला जैसी कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए सांसदों का सहयोग मांगा। उन्होंने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को गरीबों, किसानों और जवानों के लिए समर्पित बताया। उन्होंने कह कि आजादी के 75 साल पूरे होने तक हम विकास के नए मानकों को हासिल कर लेंगे। आतंकवाद का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया भारत के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि साल 2022 तक देश के किसान की आय दोगुनी हो सके, इसके लिए पिछले 5 वर्षों में अनेक कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं ने पहले की तुलना में अधिक मतदान किया है और उनकी भागीदारी पुरुषों के लगभग बराबर रही है। करोड़ों युवाओं ने पहली बार मतदान करके भारत के भविष्य निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस चुनाव की सफलता के लिए सभी मतदाता बधाई के पात्र हैं। इस चुनाव में जनता ने बहुत ही स्पष्ट जनादेश दिया है। सरकार के पहले कार्यकाल के मूल्यांकन के बाद, देशवासियों ने दूसरी बार और भी मजबूत समर्थन दिया है। ऐसा करके देशवासियों ने वर्ष 2014 से चल रही विकास यात्रा को अबाधित, और तेज गति से आगे बढ़ाने का जनादेश दिया है। इस लोकसभा में लगभग आधे सांसद पहली बार निर्वाचित हुए हैं। लोकसभा के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या में, 78 महिला सांसदों का चुना जाना नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले दिन से ही सभी देशवासियों का जीवन सुधारने, कुशासन से पैदा हुई उनकी मुसीबतें दूर करने और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सभी जरुरी सुविधाएं पहुंचाने के लक्ष्य के प्रति समर्पित है। उन्होंने कहा कि देशवासियों की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी करते हुए, अब सरकार उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप एक सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध और सर्वसमावेशी भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह यात्रा ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ की मूल भावना से प्रेरित है। उन्होंने अपने अभिभाषण में कहा कि नए भारत की यह परिकल्पना केरल के महान कवि श्री नारायण गुरु के इन सद्विचारों से प्रेरित है: ‘जाति-भेदम मत-द्वेषम एदुम इल्लादे सर्वरुम, सोदरत्वेन वाड़ुन्न मात्रुकास्थान मानित।’ उन्होंने कहा कि जो किसान हमारा अन्नदाता है, उसकी सम्मान-राशि की पहुंच बढ़ाते हुए, अब ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ को, देश के प्रत्येक किसान के लिए उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि पहली बार किसी सरकार ने छोटे दुकानदार भाई-बहनों की आर्थिक सुरक्षा पर ध्यान दिया है। कैबिनेट की पहली बैठक में ही छोटे दुकानदारों और रीटेल ट्रेडर्स के लिए एक अलग ‘पेंशन योजना’ को मंजूरी दे दी गई है। इस योजना का लाभ लगभग 3 करोड़ छोटे दुकानदारों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि नेशनल डिफेंस फंड’ से वीर जवानों के बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि बढ़ा दी गई है। इसमें पहली बार राज्य पुलिस के जवानों के बेटे-बेटियों को भी शामिल किया गया है। राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि हमारे देश में जल संरक्षण की परंपरागत और प्रभावी व्यवस्थाएं समय के साथ लुप्त होती जा रही हैं। तालाबों और झीलों पर घर बन गए और जल-स्रोतों के लुप्त होने से गरीबों के लिए पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। यही नहीं क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभावों के कारण आने वाले समय में, जलसंकट के और गहराने की आशंका है। आज समय की मांग है कि जिस तरह देश ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को लेकर गंभीरता दिखाई है, वैसी ही गंभीरता ‘जल संरक्षण एवं प्रबंधन’के विषय में भी दिखानी होगी। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाना ही होगा। नए ‘जलशक्ति मंत्रालय’ का गठन, इस दिशा में एक निर्णायक कदम है जिसके दूरगामी लाभ होंगे। इस नए मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि साल 2022 तक देश के किसान की आय दोगुनी हो सके, इसके लिए पिछले 5 वर्षों में अनेक कदम उठाए गए हैं।

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