प्रयागराज कुंभ 2000 साधु बने नागा संन्यासी

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प्रयागराज। प्रिया सिंह

प्रयागराज में लगा महाकुंभ कई मायने में महत्वपूर्ण है । जहां साधु संतों के वैभवशाली शिविर देखने को मिले, वहीं इस बार विदेशियों समेत दो हजार साधुओं को नागा सन्यासी बनाया गया। प्रयागराज गंगा तट पर इन साधुओं ने रामा पिंडदान कर सन्यासी का जीवन धारण कर लिया।

जूना अखाड़ा की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में अखाड़े के कोतवाल धर्म दंड लेकर उन्हें नियंत्रित करते रहे। संकल्प के तहत अवधूत को नागा बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके तहत सबसे पहले अवधूत का मुंडन संस्कार किया गया। फिर शुरू हुआ अन्य संस्कार जैसे गंगा स्नान भस्मा स्नान गोमूत्र पंचगव्य पंचामृत स्नान और फिर गंगा स्नान के बाद लंगोटी धारण। यज्ञोपवित संस्कार के बाद परंपरा अनुसार प्लास का दंड और कुल्हड़ का कमंडल दिया गया। फिर काशी के पुरोहित और उज्जैन के आचार्य के अनुसार सभी ने पिंडदान किया। और उसे गंगा में विसर्जित किया। जानकारी के अनुसार आधी रात के बाद विजया हवन संस्कार किया गया ।ओम नमः शिवाय का जाप भी जारी रहा। बताया गया कि अखाड़े की छावनी में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी के आचार्यत्व में संकल्प और संस्कार दीक्षा के बाद इन सभी सन्यासियों की लंगोटी खोलकर नागा बनाया गया। नागा सन्यासी दूसरे शाही स्नान पर पर अखाड़े की शोभायात्रा में शामिल होंगे।

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