राफेल पर संसद में फिर घमासान

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नई दिल्ली। राफेल विमान सौदे पर संसद में शुक्रवार को भी सरकार और विपक्ष में घमासान हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सवालों का जवाब देते हुए रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि खानदान का नाम पीछे जुड़ा होने से प्रधानमंत्री को अपशब्द कहने का हक नहीं मिल जाता। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार बेहतर शर्तों के साथ 36 विमान खरीद रही है। यह यूपीए सरकार के समय तय कीमत से नौ फीसदी सस्ते हैं।

जानकारी के अनुसार शुकवार सुबह सदन शुरू होते ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि खानदान का नाम पीछे जुड़ा होने से प्रधानमंत्री को अपशब्द कहने का हक नहीं मिल जाता। उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए कांग्रेस की मंशा 10 वर्षों में राफेल खरीदने एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की नहीं थी। उस समय सिर्फ 18 राफेल खरीदने पर चर्चा चल रही थी और वो भी नहीं खरीद पाए। हमने 23 सितंबर, 2016 को समझौता किया और तीन साल के भीतर यानी 2019 में विमान आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सौदे को रोक दिया था। यह भूल गए कि वायुसेना को इसकी जरूरत है। क्योंकि यह सौदा आपको रास नहीं आया। दरअसल, इससे आपको पैसा नहीं मिला। सदन में सीतारमण ने यूपीए सरकार में तत्कालीन रक्षा मंत्री के बयान का जिक्र भी किया, उन्होंने कहा था कि इसके लिए पैसा कहां है। वहीं सीतारमण ने कांग्रेस से सवाल किया कि उस समय किस पैसे की बात हो रही थी, किस पैसे के कारण सौदा नहीं हुआ। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आपको एचएएल की चिंता है। आपको ज्यादा परेशानी हो रही है क्योंकि मिशेल यहां आ गया है। आपने अगुस्ता वेस्टलैंड का ठेका एचएएल को क्यों नहीं दिया? इसलिए नहीं दिया क्योंकि एचएएल आपको कुछ नहीं देता। उन्होंने आरोप लगाया कि ये पूरी मुहिम गैरजिम्मेदाराना सवालों पर आधारित है। वहीं रक्षामंत्री के जवाब के बाद राहुल गांधी ने फिर सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि मैं रक्षामंत्री पर आरोप नहीं लगा रहा हूं। मेरा सीधा आरोप प्रधानमंत्री पर है। उन्होंने रक्षामंत्री से पूछा कि एचएएल के बजाय दूसरी कंपनी को सौदा दिलाने का निर्णय किसने लिया। यूपीए सरकार के समय जिन एल-1 श्रेणी के विमानों का दाम 560 करोड़ रुपये था, वह 1600 करोड़ कैसे हो गया। उन्होंने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने उनसे निजी बातचीत में कहा था कि ऑफसेट साझेदार के लिए भारतीय कंपनी का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिया गया। मैंने प्रधानमंत्री से सिर्फ यह अनुरोध किया था कि अगर ओलांद गलत कह रहे हैं तो वह उन्हें फोन कर ऐसे बयान नहीं देने को कहें।

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