दो रूपों में होती है भगवान शिव की पूजा : शंकराचार्य

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नई दिल्ली । टीएलआई
कोडरमा के मरकच्चो में आयोजित रुद्रचंडी महायज्ञ में श्रद्धालुओं ने काशी सुमेरु पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती के सानिध्य में हवन यज्ञ किया। इस मौके पर रुद्र चंडी महायज्ञ के धर्म सभा की ओर से सनातन धर्म की चर्चा की गई। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को आशीर्वचन देते हुए शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने सनातन धर्म और परंपरा को समझाते हुए कहा कि एकमात्र भगवान शिव है जिनकी दो रूप में होती है।

कोडरमा के मरकच्चो में रुद्रचंडी महायज्ञ का आयोजन किया गया। धर्मसभा की ओर से आयोजित इस महायज्ञ में हजारों श्रद्धालुओं ने आहुति दी। इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को आशीर्वचन देते हुए शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने सनातन धर्म और परंपरा को समझाते हुए कहा कि एकमात्र भगवान शिव है जिनकी दो रूप में होती है।

उन्होंने कहा कि शिवमूर्ति और शिवलिंग ये दो भगवान भोलेनाथ के ही रूप है। यही नहीं एकमात्र भगवान शिव ही है जो निराकार है और सकार भी है। शिवशंकर को ब्रह्मरूप होने के कारण ‘निष्कल’ यानी निराकार और रूपवान होने के कारण ‘सकल’ यानी साकार कहा जाता है। इससे पहले श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती का आयोजक मंडल ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। शंकाराचार्य ने मौजूद श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि भगवान शिवशंकर की पूजा से ही व्यक्ति और समाज का कल्याण संभव है।

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