कीर्ति आजाद, अशोक तंवर और पवन वर्मा तृणमूल में शामिल

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नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के दिल्ली मिशन के तहत अन्य दलों से नेताओ को पार्टी में लेने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व महासचिव पवन वर्मा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए।तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीनों नेताओं का पार्टी में स्वागत किया। माना जा रहा है कि कई नेता अभी कतार में हैं। ममता के मिशन दिल्ली और प्रमुख नेताओं के टीएमसी में लाने के पीछे प्रशांत किशोर का भी दिमाग बताया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि अभी यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड के अलावा कुछ अन्य जगहों पर वरिष्ठ नेताओं से संपर्क रणनीतिकारों के जरिए किया गया है। ममता की मुहिम का मकसद तृणमूल को प्रमुख विपक्ष के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर उभारना है। इसके चलते कांग्रेस में सबसे ज्यादा सेंधमारी हो रही है। टीएमसी में आने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूर्व सलाहकार और राज्यसभा के पूर्व सदस्य वर्मा को 2020 में राज्य में सत्ताारुढ़ जद (यू) से निष्कासित कर दिया गया था।पवन वर्मा ने कहा कि मैंने टीएमसी ज्वाइन किया है। जेडीयू छोड़ने के बाद काफी गहराई में जाने के बाद मुझे आज की राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि किसी भी लोकतंत्र में एक मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है। सरकार को लोकतांत्रिक ढंग से चुनौती देना जरूरी है। मैं उम्मीद करता हूं कि साल 2024 में ममता बनर्जी राष्ट्रीय चुनाव जीतकर दिल्ली में होंगी। कीर्ति आजाद ने टीएमसी में शामिल होने के बाद कहा कि ममता बनर्जी ने जमीन पर उतर कर लड़ाई लड़ी है। मैंने भी हमेशा यही प्रयास किया है कि लोगों के लिए लड़ाई सीधे जमीन पर उतर के लड़ी जाए। उन्होंने कहा कि जो लोग देश को विभाजित करने का काम कर रहे हैं उनके खिलाफ लड़ाई लड़ूंगा। सूत्रों के अनुसार कुछ और नेता भी शामिल हो सकते हैं। वहीं, अशोक तंवर ने कहा कि मौजूदा समय में ममता बनर्जी ही विपक्ष की सबसे बड़ी नेता हैं और उनके नेतृत्व में ही भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई लड़ी जा सकती है।  सूत्रों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद तंवर को हरियाणा में पार्टी के नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। तंवर हरियाणा के सिरसा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। साल 2019 में तंवर ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहा था औऱ उन्होंने अपना भारत मोर्चा बनाया। हरियाणा के सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के बीच कड़वे रिश्तों की वजह से ही उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहा था।

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