तालिबान के निशाने पर भारतीय संपत्तियां

अंतरराष्ट्रीय

काबुल।
अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाके और सुरक्षा बलों के बीच भीषण लड़ाई चल रही है। इस बीच तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान में भारत-निर्मित संपत्तियों को निशाना बना रहे हैं। उधर तालिबान नेता अफगानिस्तान की सरकार के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ दोहा में शांति वार्ता कर रहे हैं। काबुल के प्रतिनिधिमंडल में सरकार में दूसरे नबंर की हैसियत रखने वाले अब्दुल्ला अब्दुल्ला शामिल हैं। वह अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सामंजस्य परिषद के प्रमुख भी हैं। दोहा में पहले दौर की शांति वार्ता शनिवार को हुई और दूसरे दौर की वार्ता रविवार देर शाम शुरू हुई।
केंद्र सरकार ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए तीन अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें डेलाराम और जरांज सलमा बांध के बीच 218 किलोमीटर लंबी सड़क, अफगान संसद भवन अफगान लोगों के लिए भारतीय योगदान के सबसे बड़े प्रतीक हैं। एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ तालिबान का खुलकर समर्थन करने के लिए 10 हजार से अधिक पाकिस्तानी शामिल हुए हैं। इनपुट के अनुसार, पाकिस्तानी और तालिबान लड़ाकों को विशेष निर्देश के साथ भारत में निर्मित संपत्तियों को निशाना बनाने और वहां भारतीय सद्भावना के किसी भी संकेत को हटाने के लिए भेजा गया है। अफगानिस्तान की निगरानी करने वाले सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है। बता दें कि हक्कानी नेटवर्क सहित पाकिस्तान समर्थित इस्लामिक आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में भारत के खिलाफ वर्षों से सक्रिय है। उधर, भारतीय पक्ष इस मुद्दे पर भी असमंजस में है कि क्या उन्हें काबुल में अपनी उपस्थिति बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी, क्योंकि अभी तक अति-कट्टरपंथी इस्लामी समूह ने कोई आश्वासन या संकेत नहीं दिया है। इसे भारत के विरोध के रूप में देखा जा रहा है। उधर अफगान बलों ने तालिबान से परवान प्रांत में शेख अली जिले का नियंत्रण वापस ले लिया। स्थानीय मीडिया ने सुरक्षा अधिकारियों का हवाले से यह जानकारी दी है।

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