केदारनाथ में भाजपाइयों को पीना पड़ा अपमान का घूंट : हरीश

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देहरादून। अनीता रावत
उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोमवार को जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में बदलाव के कारण ही भाजपाइयों को अपमान का घूंट पीना पड़ा।
सोमवार को यशपाल आर्य की वापसी के बाद पहली बार पार्टी मुख्यालय में उनके आगमन पर आयोजित स्वागत समारोह में हरीश रावत ने कहा कि भाजपा ने केदारनाथ में दो बदलाव किए हैं। पहला आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को पूर्व निर्धारित स्थान से हटाकर दूसरी जगह स्थापित कर दिया गया। दूसरा केदारनाथ के प्रांगण में चौहरी को बदलने का काम किया गया है। केदारनाथ में पांच नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा कर अनावरण करने जा रहे हैं, लेकिन इससे पहले पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिमा का स्थान बदलने को भगवान केदारनाथ के अपमान का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यही वजह है कि आज भाजपा के लोगों को भी केदारनाथ में अपमान का घूंट पीना पड़ रहा है।  दूसरा केदारनाथ के प्रांगण में चौहरी को बदलने का काम किया गया है। हरीश ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रतिमा कहां स्थापित होगी, शंकराचार्य से राय लेकर बुनियाद रखने का काम किया था, लेकिन भाजपा ने इसे बदल दिया। उन्होंने इसे भगवान केदारनाथ का अपमान बताया। हरीश ने कहा कि भाजपा के कर्मों का ही फल है कि आज उसके नेताओं को, उसके पूर्व मुख्यमंत्री को वहां काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। भाजपा गो-बैक के नारे लगाए जा रहे हैं।  पूर्व सीएम हरीश रावत ने मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना को लेकर एक बार फिर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने इस योजना के नाम में शामिल किए गए घसियारी शब्द को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे राज्य की महिलाओं का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को नहीं पता, लेकिन पुुराने लोग जानते हैं, गांव में हलिया (हल लगाने वाला व्यक्ति) और घसियारी (घास काटकर लाने वाली महिला) संबोधन को सही नहीं माना जाता। यह सामंतवादी सोच का प्रतीक है। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और गोविंद वल्लभ पंत जैसे महापुरुषों ने जमींदारी उन्मूलन से किसानों को जमीन का मालिक बनने का हक दिया, लेकिन भाजपा इन महापुरुषों के अपमान के साथ अपने इतिहास के साथ भी अन्याय कर रही है। वह हमारी मां-बहनों को घसियारी का दर्जा देकर उनका अपमान कर रही है। वह हमारी अन्नपूर्णा है, गृहलक्ष्मी है। यदि ऐसा अपमान गुजरात में किया होता तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह गदा लेकर सिर तोड़ने पहुंच जाते।

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