हरिद्वार में 11 हजार दीप से हरकी पैड़ी जगमग

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देहरादून। अनीता रावत

श्रीगंगा सभा की ओर से हरकी पैड़ी पर देव दिवाली धूमधाम से मनाई गई। हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड व आसपास के स्थानों पर 11 हजार दीप प्रज्वलित किए गए। गंगा घाट रोशनी से जगमगा उठे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी और श्रीगंगा सभा के पदाधिकारियों ने हरकी पैड़ी पर भगवान विष्णु, मां गंगा व सभी देवी-देवताओं का पूजन कर स्वागत किया।गुरुवार की देर शाम को देव दिवाली को लेकर हरकी पैड़ी का नजारा देखते ही बन रहा था। दीपों से गंगा तट को सजाया गया। पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की गई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि देव दिवाली समस्त राष्ट्र में मनाई जाए। कहा कि अगले वर्ष से नासिक, प्रयागराज सहित जहां भी निरंजनी अखाड़े की शाखाएं हैं, उन सभी जगहों पर देव दिवाली मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि देव दिवाली के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर दिवाली मनाते हैं। देव दिवाली के दिन गंगा नदी में स्नान ध्यान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। दैविक काल में एक बार त्रिपुरासुर के आतंक से तीनों लोकों में त्राहिमाम मच गया। त्रिपुरासुर के पिता तारकासुर का वध देवताओं के सेनापति कार्तिकेय ने किया था। उसका बदला लेने के लिये तारकासुर के तीनों पुत्रों ने भगवान ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या कर उनसे अमर होने का वर मांगा। हालांकि, भगवान ब्रह्मा ने तारकासुर के तीनों पुत्रों को अमरता का वरदान न देकर अन्य वर दिया। कालांतर में भगवान शिवजी ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन तारकासुर के तीनों पुत्रों यानी त्रिपुरासुर का वध कर दिया। उस दिन देवताओं ने काशी नगर में गंगा नदी के किनारे दीप जलाकर देव दिवाली मनाई थी। तभी से देव दिवाली मनाई जाती है। श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने बताया कि देव दिवाली के दिन देवताओं के लिए दीपदान करने से जीवन में आजीवन उजाला रहता है। महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि इस दिन मां गंगा का अभिषेक, आरती और गंगा पूजन का बहुत महत्व होता है।

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