बिहार के पूर्व सीएम को खाली करना पड़ेगा सरकारी आवास

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पटना। राजेन्द्र तिवारी

पटना हाईकोर्ट ने बिहार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिली आजीवन सरकारी आवास की सुविधा समाप्त कर दी। कोर्ट ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिली ये सुविधाएं असंवैधानिक हैं। यह सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है। चीफ जस्टिस एपी शाही की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।

इस फैैसले के बाद जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार सरकार का तेजस्वी प्रसाद के साथ बंगला विवाद था। तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री के रूप में जो मकान मिला था उसे खाली करवाने की कवायद की गई थी। एक बंगले को लेकर इतनी कवायद नहीं करनी चाहिए थी। वह सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। हो सकता है कि उसी कवायद में हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया हो। मांझी ने कहा कि कोर्ट का फैसला सर्वमान्य है। मैं पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ वर्तमान में विधायक भी हूं। मुख्यमंत्री चाहें तो इस बंगले को सेंट्रल पूल में रखकर मुझे आवंटित कर सकते हैं। वैसे में सात बार विधायक रहा हूं। सरकार मेरे लायक जो आवास देगी मैं उसमें चला जाऊंगा। 19 फरवरी को पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अलॉट बंगला और मिलने वाली सभी सुविधाएं हटाने के आदेश दे दिया है।हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह को अपना आवास खाली करना पड़ेगा।

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