पहली हिंदू सांसद तुलसी अमेरिक में राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगी

आज का मुद्दा

वाशिंगटन। अमेरिका में एक और भारतवंशी इतिहास रचने जा रहा है। सब कुछ सही रहा तो अमेरिकी संसद की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में दावेदारी पेश करेंगी। खुद तुलसी ने कहा है कि अगले हफ्ते वह इसका औपचारिक ऐलान करेंगी। बताया जा रहा है कि अगर तुलसी निर्वाचित होती हैं तो वह सबसे युवा एवं अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। इसके अलावा वह पहली गैर ईसाई एवं पहली हिंदू होंगी जो शीर्ष पद पर काबिज होंगी।
सांसद एलिजाबेथ वारन के बाद 37 वर्षीय गबार्ड डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की दूसरी महिला दावेदार हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2020 में चुनौती देने के लिए अब तक 12 से ज्यादा डेमोक्रेटिक नेताओं ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी की घोषणा कर दी है। हवाई से अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में चार बार की डेमोक्रेट सांसद गबार्ड ने शुक्रवार को बताया कि मैंने चुनाव में खड़ा होना तय किया है और अगले हफ्ते के अंदर-अंदर औपचारिक घोषणा कर दूंगी। तुलसी ने कहा कि यह फैसला करने के मेरे पास कई कारण हैं। अमेरिकी लोगों के समक्ष मौजूदा समय में कई चुनौतियां हैं और मैं इसे लेकर फ्रिकमंद हूं और मैं इसका समाधान करने में मदद करना चाहती हूं। उन्होंने आगे कहा कि मुख्य मुद्दा युद्ध और शांति का है। मैं इस पर काम करने को लेकर आशान्वित हूं और गहराई में जाकर इस पर बात करूंगी।
नियमानुसार उम्मीदवार बनने के लिए भी तुलसी को प्राइमरी चुनावों में जीत हासिल करनी होगी, जहां उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के कम से कम 12 सांसदों के साथ होगा। उनसे पहले डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन भी दावेदारी पेश कर चुकी हैं। भारतीय मूल की कमला हैरिस भी दावेदार बनने की दौड़ में हैं। पार्टी पर उनकी तुलसी से ज्यादा पकड़ मानी जाती है। कमला ईसाई हैं। उनकी मां तमिल थीं। गौरतलब है कि राजनीति में आने से पहले तुलसी गबार्ड अमेरिकी सेना की ओर से 12 महीने के लिए इराक में तैनात रह चुकी हैं। सैन्य पृष्ठभूमि होने के बावजूद गबार्ड ने सीरिया में अमेरिका की दखल का विरोध किया है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद से उनकी मुलाकात को लेकर उन्हें खासी आलोचना भी सहनी पड़ी। वहीं गबार्ड भारत, अमेरिका संबंधों की समर्थक रही हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी समर्थक हैं। उन्होंने पाकिस्तान को अमेरिका की आर्थिक मदद में कटौती की वकालत भी की थी। गबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता के नाम पर शपथ ली थी।

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