नमक-पानी के गरारे से अब होगी कोरोना जांच

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नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
सबकुछ ठीक रहा तो अब नमक-पानी के गरारे से भी कोरोना की जांच होगी। इस स्वदेशी तकनीक को नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने इजाद किया है। नीरी ने नमक-पानी के गरारेसे आरटीपीसीआर जांच करने की तकनीक का ब्योरा व्यावसायीकरण के उद्देश्य से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय को हस्तांतरित कर दी है। आरटी-पीसीआर जांच की यह तकनीक सरल, तेज, किफायती और रोगी के लिहाज से सुविधाजनक है।
नीरी की ओर से इस बारे में रविवार को यह जानकारी दी गई। नीरी के अनुसार, इस तकनीक में लोगों को दिए गए सलाइन (नमक-पानी) के गरारे लगभग 15 सेकंड तक करने होते हैं। इसके बाद उस सलाइन को जांच के नमूने के तौर पर प्रयोगशाला में भेजा जाता है। बयान में कहा गया, इसके तत्काल परिणाम मिल जाते हैं। यह ग्रामीण तथा आदिवासी इलाकों के लिहाज से उचित है, जहां बहुत कम बुनियादी सुविधाएं हैं। नीरी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत काम करने वाला संस्थान है। बयान के अनुसार, तकनीक की समस्त जानकारी एमएसएमई मंत्रालय को हस्तांतरित की गई है। इससे इस नवोन्मेषी तरीके का व्यावसायीकरण होगा और सभी सक्षम पक्षों को लाइसेंस प्रदान किए जा सकेंगे। जिनमें निजी, सरकारी और कई ग्रामीण विकास विभाग शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में 11 सितंबर को एक कार्यक्रम में यह प्रक्रिया संपन्न हुई। इस मौके पर गडकरी ने कहा, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर जांच पद्धति को पूरे देश में, खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों तथा कम संसाधन वाले क्षेत्रों में लागू करना जरूरी है। इससे तेजी से परिणाम आएंगे और महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी।

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