नेपाल में बादल फटा, उत्तराखंड में तबाही

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हल्द्वानी। अनीता रावत

नेपाल के श्रीबगड़ क्षेत्र में रविवार देर रात बादल फटने के बाद काली नदी रौद्र रूप में बह रही है। इस नदी में नेपाल से आ रहे नालों के साथ पहुंचे मलबे से तपोवन में 500 मीटर से लंबी झील बन गई है। इस झील से एनएचपीसी के आवासीय परिसर पर खतरा मंडरा रहा है। इसका असर उत्तराखंड में भी देखने को मिला। रविवार देर रात आसमानी आफत ने तबाही मचा दी। धारचूला तहसील के जुम्मा गांव में अतिवृष्टि से सात मकान जमींदोज हो गए। इन घरों में गहरी नींद में सो रहे लोग मलबे में दब गए। अभी तक तीन बच्चों समेत के पांच लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं, जबकि दो लोग अब भी लापता हैं। एसएसबी, पुलिस, राजस्व पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं। आपदा ने एनएचपीसी के तपोवन स्थित आवासीय परिसर के दो मकानों को भी चपेट में ले लिया। जुम्मा गांव की आपदा और तपोवन में मंडरा रहे खतरे के बाद वहां किए जा रहे राहत कार्यों की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये डीएम डॉ.आशीष चौहान से जानकारी ली। सीएम ने राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर करने और कोई कोताही न बरतने के आदेश दिए।
भारी बारिश के बीच नागनीधार से पहाड़ का मलबा भारत-नेपाल सीमा से सटे जुम्मा गांव के जामुनी तोक और सिरौउडयार तक पहुंच गया। लगभग 300 मीटर ऊंचाई से पानी के प्रचंड वेग के साथ जुम्मा के जामुनी तोक में पांच और सिरौउडयार में दो मकान मलबे में जमींदोज हो गए। उस वक्त घरों में सो रहे सात लोग लापता हो गए। रेस्क्यू के दौरान इनमें से तीन बच्चों समेत पांच लोगों के शव सोमवार को किसी तरह मलबे से बाहर निकाल लिये गए। दो लोग अब भी लापता हैं। उनकी तलाश जारी है।
नेपाल में बादल फटने से स्थानीय गधेरे के उफान में आने से नेशनल हाइड्रो पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) के तपोवन स्थित आवासीय परिसर के दो आवास उफनाई काली नदी में समा गए। 12 घंटे से अधिक समय से काली नदी चेतावनी के स्तर 889 मीटर से 80 सेमी ऊपर बह रही है। नदी के इस विकराल रूप से किनारे वाले क्षेत्रों की करीब 20 हजार की आबादी दहशत में है। नेपाल के श्रीबगड़ क्षेत्र में रविवार देर रात बादल फटने के बाद काली नदी रौद्र रूप में बह रही है। इस नदी में नेपाल से आ रहे नालों के साथ पहुंचे मलबे से तपोवन में 500 मीटर से लंबी झील बन गई है। इस झील से एनएचपीसी के आवासीय परिसर पर खतरा मंडरा रहा है। सोमवार सुबह करीब 8 बजे तक काली नदी में यह झील बन गई। काली सामान्य जलस्तर से दो मीटर तक ऊपर बह रही है। इससे झूलाघाट, जौलजीबी, बलुवाकोट के साथ काली नदी किनारे की बड़ी आबादी को खतरा पैदा हो गया है। सोमवार पूरे दिन लोग अनहोनी की आशंका से सहमे रहे।

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