केंद्र सरकार सतर्क तथा किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम : राजनाथ सिंह

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नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
अफगानिस्तान में मौजूदा घटनाक्रम ने सुरक्षा के नए सवाल खड़े कर दिए हैं और केंद्र सरकार सतर्क तथा किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीसरे बलरामजी दास टंडन स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को यह बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राष्ट्र विरोधी ताकत को अफगानिस्तान के घटनाक्रम का फायदा उठाकर सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
बलरामजी दास टंडन स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश अफगानिस्तान में जो हो रहा है, उससे सुरक्षा के लिहाज से नए सवाल उठ रहे हैं। भारतीयों की सुरक्षा के साथ-साथ हमारी सरकार यह भी चाहती है कि देश विरोधी ताकतें वहां के घटनाक्रम का फायदा उठाकर सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा न दें। उन्होंने कहा, हमारी कुछ और चिंताएं हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से चुनौती बन सकती हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत सरकार पूरी तरह सतर्क है और किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा, हम वायु, जल और थल कहीं से भी उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने नई चुनौतियों का सामना करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली को लगातार उन्नत और अद्यतन करने पर जोर दिया और कहा कि आधुनिक तकनीक के विकास के कारण कुछ नए खतरे सामने आए हैं। उन्होंने इस साल की शुरुआत में जम्मू वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन से दो बम गिराए जाने का जिक्र किया। सिंह ने कहा, हमें नई चुनौतियों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली को लगातार उन्नत और अद्यतन करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य देश को समृद्ध, मजबूत और सुरक्षित बनाना है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर से अतंकवाद के जल्द खत्म होने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि बचा हुआ आतंकवाद भी समाप्त होकर रहेगा। यह विश्वास इसलिए है क्योंकि धारा 370 और 35ए के चलते अलगाववादियों को जो ताकत मिलती थी वह खत्म हो गई है। लद्दाख में चीन के साथ तनाव पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने सेनाओं को यह स्पष्ट बता रखा है कि एलएसी पर किसी भी एकतरफा कार्रवाई को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। गलवान में उस दिन भारतीय सेना ने यही किया और पूरी बहादुरी से चीन के सैनिकों का मुकाबला करते हुए उन्हें पीछे जाने पर मजबूर कर दिया।

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