उत्तराखंड में बांग्लादेशी महिला बन गई आशा कार्यकत्री

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हल्द्वानी। अनीता रावत

22 साल से अवैध रूप से रह रही बांग्लादेशी महिला फर्जी कागजातों से आशा कार्यकत्री बन गई। हालांकि जांच के बाद उसे निष्कासित कर दिया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी को हाल में इसकी जानकारी दी गई है। वहीं, जांच में पकड़े जाने के बावजूद 15 साल से कार्रवाई नहीं होने पर सवाल उठ रहे हैं। महिला के भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की भी जानकारी मिली है।
वर्ष 2006 में खुफिया विभाग और स्थानीय पुलिस ने अवैध रूप से रह रहे विदेशियों का पता लगाने के लिए अभियान चलाया था। इस दौरान काशीपुर में एक बांग्लादेशी महिला की जानकारी मिली। पता चला कि यह महिला अपनी बहन के साथ 1999 में आई थी। महिला ने काशीपुर निवासी युवक से शादी कर ली, जबकि उसकी बहन ने जसपुर के एक युवक से शादी की है। खुफिया विभाग ने इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी थी। तत्कालीन एसडीएम ने सभी विभागों को पत्र भेजकर इन महिलाओं के बनाए सभी प्रमाणपत्र निरस्त करने को कहा था। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच करीब पांच साल पहले जसपुर निवासी महिला फर्जी कागजात लगाकर आशा कार्यकत्री बन गई। शिकायत पर जसपुर एसडीएम ने जांच कराई तो पुष्टि हुई। रिपोर्ट डीएम को भेजी गई और डीएम के निर्देश के बाद बीते दिनों महिला को पद से बर्खास्त कर उसकी जगह नई आशा कार्यकत्री की तैनाती कर दी गई। अब 26 जुलाई को सीएचसी जसपुर के एमएस ने सीएमओ को इस संबंध में पत्र भेजकर मामले की जानकारी दी है। उधर, जानकारी मिली है कि महिला और उसकी बहन ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया हुआ है।

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